शशिधर जगदीशन दोबारा बनाए गए HDFC के MD और CEO: अब 2026 तक पद पर बने रहेंगे, 26 अक्टूबर को खत्म हो रहा था कार्यकाल

नई दिल्ली2 घंटे पहले

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शशिधर जगदीशन (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar

शशिधर जगदीशन (फाइल फोटो)

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने HDFC बैंक के MD और CEO के रूप में शशिधर जगदीशन को फिर से नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है। शशिधर का कार्यकाल 26 अक्टूबर 2023 को समाप्त हो रहा है, जिसे अगले 3 साल यानी 26 अक्टूबर 2026 तक बढ़ा दिया गया है।

RBI ने 18 सितंबर को शशिधर जगदीशन के रिअपॉइंटमेंट को मंजूरी दी है। 26 अक्टूबर 2020 को शशिधर जगदीशन ने आदित्य पूरी की जगह कंपनी के MD-CEO का पद संभाला था। हाल ही में RBI ने ICICI बैंक के MD-CEO संदीप बख्शी के भी रिअपॉइंटमेंट की मंजूरी दी थी।

HDFC के साथ 1996 में जुड़े थे जगदीशन
पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) जगदीशन ने फिजिक्स में ग्रैजुएशन किया है। इसके अलावा उन्होंने शेफील्ड विश्वविद्यालय, UK से मनी, बैंकिंग और फाइनेंस में इकोनॉमिक्स में मास्टर्स की डिग्री ली है। जगदीशन के पास बैंकिंग में 31 साल से ज्यादा का अनुभव है।

वह 1996 में HDFC के साथ जुड़े थे। 1999 में उन्हें बिजनेस हेड बनाया गया था और 2008 में उन्हें कंपनी के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर नियुक्त किया गया था। 1995 में बैंक का मार्केट कैप 440 करोड़ रुपए था, जो 2023 में बढ़ कर 12.34 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

सोमवार (18 सितंबर) को HDFC बैंक का शेयर लगभग 2% गिरकर 1,629 रुपए पर बंद हुआ था। वहीं इस दिन बैंक का टोटल मार्केट कैप 12.34 लाख करोड़ रुपए रहा था।

सोमवार (18 सितंबर) को HDFC बैंक का शेयर लगभग 2% गिरकर 1,629 रुपए पर बंद हुआ था। वहीं इस दिन बैंक का टोटल मार्केट कैप 12.34 लाख करोड़ रुपए रहा था।

शशिधर का बैंक की ग्रोथ में अहम रोल
HDFC ने कहा कि शशिधर ने बैंक के विकास यात्रा में अहम रोल अदा किया है। HDFC ग्रुप की हाउसिंग फइनेंस कंपनी HDFC हाउसिंग के विलय में भी जगदीशन की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस साल जुलाई में HDFC हाउसिंग का HDFC बैंक में विलय हुआ था।

1991 के आर्थिक उदारीकरण से निकला था HDFC बैंक के बनने का रास्ता
1990 से ही देश की अर्थव्यवस्था की सेहत बिगड़ने लगी थी। देश से निर्यात बहुत कम हो गया था पर इसके उलट आयात बढ़ता ही जा रहा था। इस आयात की कीमत चुकाने में सरकार का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने की कगार पर पहुंच गया।

तब देश के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार का बेड़ा उठाया। और इकोनॉमिक रिफॉर्म्स लागू किए। ये रिफॉर्म था अर्थव्यवस्था को निजी कंपनियों के लिए खोलना। मतलब किसी भी सेक्टर में निजी कंपनियां व्यापार कर सकती थी। इसी में से एक बैंकिंग सेक्टर भी था।

इसके तुरंत बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऐसे प्राइवेट बैंक की तलाश में लग गई, जिन्हें लाइसेंस दिया जा सके। एक वजह बैंकिंग सेक्टर में हेल्दी कॉम्पेटिशन बनाए रखना भी था।

दूसरी तरफ इसी समय HDFC हाउसिंग फाइनेंस के चेयरमैन दीपक पारेख ने बैंक खोलने की इच्छा हुई। इसके लिए वो सालों के अनुभव वाले मंझे हुए बैंकर्स की तलाश करने लगे। उनकी पहली तलाश थे तब सिंगापुर में सिटी बैंक के सीईओ आदित्य पुरी।

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