लखेश्वर यादव/जांजगीर चांपा. भादो मास के कृष्ण पक्ष की छठी तिथि पर हलषष्ठी का पर्व मनाने की परंपरा है. इस बार हलषष्ठी पर्व 5 सितंबर को मनाया जाएगा. छत्तीसगढ़ में इस पर्व को गांव-गांव में कमरछठ के नाम से जाना जाता है. इस दिन महिलाओं द्वारा हलषष्ठी माता की पूजा करके परिवार की खुशहाली और संतान की लंबी उम्र की कामना की जाएगी.
मान्यता के अनुसार, हलषष्ठी माता की पूजा-अर्चना में बिना हल जोते उगने वाले पसहर चावल और छह प्रकार की सब्जियों का भोग लगाने का विधान है. बाजार में अब पसहर चावल मिलने शुरू हो गए हैं. लेकिन इस बार इनकी कीमतें आसमान छू रही हैं. जांजगीर के बाजार में खरीदारी करने गए लोग कीमत सुनकर चौंक जा रहे हैं.
इतने में बिक रहा पसहर चावल
जांजगीर जिला मुख्यालय की राशन दुकानों के साथ-साथ, कचहरी चौक, नैला रोड स्टेशन के पास, डेली सब्जी मार्केट में पसहर चावल खरीदने के लिए लोग बाजार आ रहे हैं. यह चावल 120 से 150 रुपये किलो तक में मिल रहा है. साथ ही नारियल, फुलौरी, महुआ, दोना, टोकनी, लाई, छह प्रकार की भाजी का भी पूजा में महत्व होने से इसकी खरीदारी की जा रही है.
जानें पसहर चावल खाने का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्मोत्सव वाले दिन हलषष्ठी मनाए जाने की मान्यता है. इस दिन बलदाऊ के शस्त्र हल को महत्व देने के लिए बिना हल चलाए उगने वाले पसहर चावल का पूजा में इस्तेमाल किया जाता है. पसहर चावल को खेतों में उगाया नहीं जाता है. यह चावल बिना हल जोते अपने आप खेतों की मेड़, तालाब, पोखर या अन्य जगहों पर उगते हैं. पूजा के दौरान महिलाएं पसहर चावल को पकाकर भोग लगाती हैं, साथ ही इसी चावल का सेवन करके व्रत तोड़ती हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 02, 2023, 15:56 IST