वाराणसी में ज्ञानवापी सर्वे की तारीख बढ़ाने पर सुनवाई आज: जिला जज की अदालत में ASI का एक्सटेंशन अप्लीकेशन; 56 दिन अतिरिक्त समय मांगा

वाराणसी11 मिनट पहले

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वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में वजूस्थल को छोड़कर संपूर्ण परिसर का सर्वे पिछले 30 दिनों से अनवरत जारी है। सर्वे में कई ऐतिहासिक साक्ष्य पाने के बाद एएसआई अब सर्वे को लंबा चलाएगी। वाराणसी जिला जज की अदालत में आज ज्ञानवापी सर्वे की समयावधि बढ़ाने पर सुनवाई होगी।

एएसआई ने अब तक सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट के पटल पर प्रस्तुत कर दी है। एक्सटेंशन एप्लिकेशन के जरिए सर्वे में 56 दिन का अतिरिक्त समय मांगा है। कोर्ट एएसआई को समय बढ़ाने के साथ नई गाइडलाइन जारी कर सकती है।

वाराणसी के ज्ञानवापी में सोमवार को भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की टीम के सर्वे का 30वां दिन है। त्रिस्तरीय सुरक्षा के बीच टीम परिसर में ऐतिहासिक संभावनाएं तलाशती एएसआई के प्रार्थनापत्र पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश सुनवाई करेंगे।

एएसआई ने 2 सितंबर को ज्ञानवापी में अब तक हुए सर्वे की तैयार रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखकर अतिरिक्त समय मांगा था। एएसआई के अधिकारियों ने अभी सर्वे पूरा करने के लिए आठ सप्ताह का समय और देने की गुहार लगाई है। कोर्ट के सवालों पर आज बिंदुवार दस्तावेज बनाकर अन्य पहलुओं पर जानकारी देंगे। कोर्ट में वादी और प्रतिवादी के वकीलों समेत एएसआई के अधिकारी मौजूद रहेंगे।

तस्वीर में काशी विश्वनाथ कॉरीडोर से सटा ज्ञानवापी (बाएं) दिख रही है।

तस्वीर में काशी विश्वनाथ कॉरीडोर से सटा ज्ञानवापी (बाएं) दिख रही है।

बता दें कि जिला जज के आदेश और सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट की सहमति के बाद ASI के अधिकारी और कर्मचारी ज्ञानवापी में सर्वे चल रहा है। वजूस्थल को छोड़कर संपूर्ण परिसर के सर्वे में जुटी टीम अब तक 29 दिन में लगभग 185 घंटे का सर्वे पूरा कर चुकी है।

सर्वे में वाराणसी, पटना, कानपुर, दिल्ली और हैदराबाद की टीमें शामिल हैं। अब तक ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वे के लिए स्थानों का निर्धारण हो चुका है। एएसआई मानकों पर सर्वे की अग्रिम कार्रवाई पूरी कर रही है और कोर्ट से समय मिलने के बाद कार्रवाई को आगे बढ़ाएगी।

29 दिनों में 185 घंटे टीम ने बहाया पसीना

ज्ञानवापी में 29 दिन में 185 घंटे सर्वे करने वाली ASI टीम में 40 सदस्य शामिल रहे। अब तक 185 घंटे पसीना बहाने वाली ASI टीम के हाथ कई अहम साक्ष्य लगे हैं, जिनकी साइंटिफिक जांच जारी है। दीवारों और गुंबद में मिली कलाकृतियों और कारीगरी बड़े राज से पर्दा उठाएंगे। परिसर की पूरी पैमाइश के बाद केवल जीपीआर पर काम कर रही है। उसका फोकस उन अलग-अलग स्थानों पर बरकरार है, जहां से ऐतिहासिक साक्ष्य संकलित किए जा सके।

अब तक टीम ने किया इतना काम

ज्ञानवापी परिसर को 4 सेक्टर में बांटकर चारों तरफ कैमरे लगाए हैं। वीडियोग्राफी की जा रही है। ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार पर सबसे ज्यादा फोकस करते हुए बारीक स्कैनिंग जारी है। पूरे परिसर की पैमाइश, अंदर मिलने वाली आकृतियों और दीवारों की कलाकृतियों की फोटो और वीडियोग्राफी हो चुकी है।

सर्वे के लिए ज्ञानवापी जाती ASI टीम-फाइल फोटो।

सर्वे के लिए ज्ञानवापी जाती ASI टीम-फाइल फोटो।

दो टीमें तहखाने और दो टीमें बाहरी परिसर में लगी है। सदस्यों ने यूनिट के अनुसार बाहरी दीवार, पश्चिमी दीवार, व्यासजी तहखाना समेत अन्य तहखाने, गुंबद और छतों का गहन अध्ययन किया है। इन जगहों से सैंपल जुटाकर लैब में भेजे और प्राचीनता के लिए पुरातन दस्तावेजों से साक्ष्यों का मिलान जारी है।

जिला कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक अपील

  • 21 जुलाई को वाराणसी की स्थानीय कोर्ट ने ASI को सर्वे करके 4 अगस्त को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था।
  • 24 जुलाई को सुबह 7 बजे सर्वे शुरू हुआ। मुस्लिम पक्ष रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई की शाम तक सर्वे पर रोक लगा दी और हाईकोर्ट जाने को कहा।
  • 25, 26, 27 जुलाई को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। 27 जुलाई को कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया और 3 अगस्त को आदेश देने की बात कही।
  • 3 अगस्त को हाईकोर्ट के जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा, ‘न्यायहित में सर्वे जरूरी है। मुझे इस तर्क में कोई दम नहीं दिखता कि बिना दीवार खोदे ASI नतीजे पर नहीं पहुंच सकता।’
  • 3 अगस्त को इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट चला गया। 4 अगस्त को मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज हो गई तब से 4 सितंबर तक सर्वे जारी है।

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