लौकी की खेती ने इस किसान की बदली तकदीर, रोजाना की कमाई जानकर हो जाएंगे हैरान

गुलशन सिंह/बक्सर. पारंपरिक खेती की तुलना में अब ज्यादातर किसान नगदी फसलों की खेती करना पसंद कर रहे हैं. बक्सर जिले में बड़े पैमाने पर किसान हरी सब्जी की खेती कर रहे हैं. खासकर डुमरांव अनुमंडल इलाके में किसान मौसमी सब्जी की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं.

इसी कड़ी में सिमरी प्रखंड के काजीपुर गांव के रहने वाले किसान दीपू चौधरी मचान विधि से लौकी की खेती कर रहे हैं. दीपू बताते हैं कि पिछले 15 साल से सब्जी की ही खेती करते आ रहे हैं. हालांकि किसी वर्ष पफसल बेहतर रहता है तो उत्पादन अधिक होने से अच्छी कमाई हो जाती है. वहीं कभी विपरीत मौसम तथा बाजार में गिरावट के चलते नुकसान भी झेलना पड़ता है. हालांकि इस बार लौकी की अगेती फसल ने तकदीर बदल दी है.

इस सीजन में एक लाख तक मुनाफा कमाने की है उम्मीद

दीपू ने बताया कि दो माह पूर्व डुमरांव बीज भंडार से ‘अर्का बहार’ किस्म की लौकी का बीज लाकर एक बीघा खेत में बुआई किया था. वहीं खाद, पानी इत्यादि देने के साथ देखभाल करने के कारण लौकी समय पर अच्छा फलन देना शुरू कर दिया है. उन्होंने बताया कि यह लौकी बेलनाकार यानी लंबे आकार की लौकी है.

किसान दीपू ने बताया कि प्रतिदिन 200 से 250 पीस लौकी खेत से निकल रहा है. जिसे खुद नया भोजपुर सब्जी मंडी में ले जाकर बेचते है. किसान ने बताया कि 15 रुपए प्रति पीस के रेट से सब्जी मंडी में लौकी बिकता है.

सब्जी मंडी में किसी थोक व्यापारी को नकद रुपए लेकर लौकी बेच देते हैं. इससे सुबह-सुबह 3 से 4 हजार रुपए की कमाई हो जाती है. उन्होंने बताया कि अभी एक हफ्ते से ही लौकी का फलन खेत में शुरू हुआ है. ऐसे में अगेती फसल होने के कारण उम्मीद है कि इस बार लौकी की खेती से 1 लाख से ज्यादा मुनाफा आराम से हो जाएगा.

खेत की करनी पड़ती है रखवाली

किसान दीपू ने बताया कि फल देने का सिलसिला अभी अक्टूबर के अंत तक जारी रहेगा. दीपू ने बताया कि परिवार के आठ सदस्य खेती-बाड़ी का काम में लगे रहते है. इसी से सभी की जीविका चलती है. दीपू ने बताया कि लौकी के फसल को जंगली जानवरों से नुकसान का खतरा बना रहता है. इसके लिए उन्हें दिन- रात खेत की रखवाली करनी पड़ती है. हालांकि बचाव के लिए खेत के चारों तरफ से फेंसिंग कराया गया है, इसके बाद भी किसी न किसी को खेत पर रहना जरूरी होता है.

Tags: Bihar News, Buxar news

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