नई दिल्ली2 घंटे पहले
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रुपया अपने रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर पहुंच गया है। सोमवार को इसमें अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 9 पैसे की गिरावट देखने को मिली और यह 83.35 रुपए प्रति डॉलर के अब तक के सबसे मिचले स्तर पर बंद हुआ। इससे पहले इसी साल 13 नवंबर को डॉलर के मुकाबले रुपया 83.33 के अपने सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ था।
फॉरेन एक्सचेंज ट्रेडर्स के मुताबिक विदेशी फंड्स के देश से बाहर जाने (foreign fund outflows) की वजह से रुपए पर दबाव रहा। इंटर-बैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट बाजार में रुपया 83.25 रुपए प्रति डॉलर पर खुला और कारोबार के अंत में 83.35 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ। शुक्रवार को रुपया 83.26 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
इंपोर्ट करना होगा महंगा
रुपए में गिरावट का मतलब है कि भारत के लिए चीजों का इंपोर्ट महंगा होना है। इसके अलावा अमेरिका में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है। मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 83.35 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे फीस से लेकर रहना और खाना और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी।
इस वित्त वर्ष में रुपया 1.4% तक कमजोर हुआ
नवंबर में रुपया 0.1% तक गिरा है। चालू वित्त वर्ष में रुपया 1.4% तक कमजोर हुआ है, जबकि मौजूदा कैलेंडर वर्ष में अब तक यह 0.7% गिर चुका है। हालांकि मजबूत विदेशी प्रवाह की मदद से चालू कैलेंडर वर्ष के पहले 6 महीने में रुपया 0.16% तक चढ़ा है।
डॉलर इंडेक्स में गिरावट
6 प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.42% की गिरावट के साथ 103.48 पर आ गया, जो शुक्रवार को 104.16 पर था। वहीं, ब्रेंट क्रूड ऑयल फ्यूचर्स के भाव 0.66% की तेजी के साथ 81.14 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
सेंसेक्स मार्केट में भी 139 अंक की गिरावट
सोमवार को शेयर मार्केट में भी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 139 अंक की गिरावट के साथ 65,655 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी में भी 37 अंक की गिरावट रही। ये 19,694 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 20 में गिरावट और 10 में तेजी देखने को मिली है। आज IT, हेल्थकेयर शेयरों में हल्की खरीदारी रही। ऑटो, मेटल और कंज्यूमर गुड्स शेयरों में बिकवाली देखने को मिली।
करेंसी की कीमत कैसे तय होती है?
डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो उसे मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिशिएशन। हर देश के पास फॉरेन करेंसी रिजर्व होता है, जिससे वह इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करता है। फॉरेन रिजर्व के घटने और बढ़ने का असर करेंसी की कीमत पर दिखता है।
अगर भारत के फॉरेन रिजर्व में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर होगा तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं।