राहुल गांधी मध्यप्रदेश में 12 दिन रहे। उनकी यात्रा बुरहानपुर से शुरू हुई और आगर-मालवा जिले में समाप्त हुई। राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की एकजुटता का संदेश दिया तो इसके साथ ही उन्होंने यहां के आदिवासी वोटर्स को भी साधने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
कांग्रेस की एकजुटता का संदेश
राहुल गांधी ने एमपी में अपनी यात्रा के आखिरी दिन कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को गले लगने के लिए कहा। पहले तो दोनों नेताओं ने संकोच किया बाद में राहुल की जिद के कारण गले मिले। राहुल गांधी ने यह मैसेज दिया कि कांग्रेस एकजुट है। 2018 में जिस तरह से कांग्रेस की सरकार बनी थी अब 2023 के विधानसभा चुनाव में भी पूरी कांग्रेस एकजुट होकर मैदान में उतरेगी।
राहुल की हिन्दुत्व वाली छवि
मध्यप्रदेश में यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने अपनी हिन्दुत्व वाली छवि भी दिखाई। वो नर्मदा आरती में शामिल होने के बाद ओंकारेश्वर और महाकाल मंदिर में दर्शन करने गए। कमलनाथ ने बीजेपी नेताओं को चुनौती भी दी। उन्होंने कहा- मैं आरएसएस, बीजेपी और विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं को चुनौती देता हूं कि वो आएं और मिलकर राहुल गांधी के साथ शास्त्रार्थ कर लें। वो किसी भी सार्वजनिक मंच पर राहुल से धर्म पर चर्चा कर सकते हैं।
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आदिवासी वोटर्स पर फोकस
राहुल गांधी की यात्रा जिन विधानसभा सीटों से गुजरी है वो आदिवासी बाहुल्य है। मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान भी लगातार आदिवासी वोटर्स को लुभाने के लिए इन क्षेत्रों को दौरा कर रहे हैं। ऐसे में एमपी में आदिवासी वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस में होड़ शुरू हो गई है। राहुल गांधी की यात्रा कांग्रेस के उपयोगी साबित हो सकती है।
पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे से मचा बवाल
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश में उस समय विवाद में आ गई जब यात्रा के दौरान पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे। बड़ी बात ये थी कि कांग्रेस नेता ने यात्रा का लाइव लिंक अपने ट्विटर पर शेयर किया था। जिसके बाद बीजेपी इस यात्रा को राष्ट्र विरोधी बताने में जुट गई। कांग्रेस को अब इस मुद्दे से पार पाना होगा।
निशाने पर सिंधिया
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का की सबसे बड़ी बात थी कि उन्होंने बिना नाम लिए अपने पुराने दोस्त ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला बोला। उन्होंने सिंधिया समर्थक नेताओं को भ्रष्ट बताया तो जयराम रमेश ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर खुला हमला करते हुए उन्हें स्वार्थी बताया। सिंधिया पर हमला करके कांग्रेस ने प्रदेश की सियासत में एक नया मुद्दा छेड़ दिया है। बता दें कि सिंधिया की बगावत के कारण ही राज्य से कमलनाथ की सरकार गिर गई थी।
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