अनूप पासवान/कोरबाः भारत सरकार द्वारा विशेष संरक्षित जनजातियों को आगे बढ़ाने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं. इस तरह की जनजाति कोरबा जिले में भी मौजूद हैं. पहाड़ी कोरवा, बिरहोर और पंडो जनजातीय परिवारों के मामले में सरकारी सुविधाएं तो दी जा रही हैं, लेकिन नौकरी का मामला अटका हुआ है. मिडिल हो या हायर सेकेंडरी की शिक्षा प्राप्त करने वाले युवक नौकरी के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं.
कोरबा जिले का नाम ही कोरवा जनजाति के नाम पर पड़ा है, कोरबा जिले के वनांचल क्षेत्र में पहाड़ी कोरवा जाति के लोग आज भी गुजर बसर कर रहे हैं. कोरवा आदिवासी जनजाति को राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र का दर्जा प्राप्त है. राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार जनजाति के पढ़े लिखे लोगों को आगे बढ़ाने जिला स्तरीय प्रशासनिक सेवाओं में सीधी भर्ती के लिए विशेष मापदंड दिया है. इसके बावजूद जनजाति वर्ग के बच्चे पढ़ लिखकर बेरोजगार भटक रहे हैं.
लगभग 160 छात्रों का नहीं हुआ पंजीयन
ऐसे ही कुछ कोरवा आदिवासी जनजाति वर्ग के बच्चों ने कोरबा कलेक्टर ऑफिस पहुंचकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. वहीं युवाओं का कहना है कि समाज कल्याण विभाग में उनके जाति के लगभग 160 पढ़े लिखे युवक युवतियों का पंजीयन नहीं हो पाया है, जिस कारण से भी अभी तक नौकरी के लिए भटक रहे हैं.
इस विषय में विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा और बिरहोर समाज कल्याण समिति द्वारा भी मांग की गई है कि जल्द से जल्द छुटे हुए लोगों का नाम सूची में जोड़ने की मांग की गई है.
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FIRST PUBLISHED : October 9, 2023, 15:15 IST