‘राम-राम जपना, पराया माल अपना’ सूचना विभाग का मंत्र: योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए पैसा नहीं, मगर सरकार का चेहरा चमकाने और ब्रांडिंग पर करोड़ों खर्च

लखनऊ43 मिनट पहलेलेखक: ममता त्रिपाठी

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कब तक निभाती साथ किराए की शोहरतें,
कागज का था लिबास इशारे में फट गया…

यूपी सरकार जनता के काम का पैसा खर्च नहीं कर पाती है। जनता के लिए आए 9000 करोड़ केंद्र को वापस कर दिए जाते हैं। लेकिन, सीएम योगी की छवि चमकाने के लिए कुबेर का खजाना भी कम पड़ता जा रहा है। योगी की सरकार में सूचना विभाग से सक्षम फिलहाल कोई भी विभाग नहीं है। जितना भी पैसा आता है, सूचना विभाग न सिर्फ सब कुछ उसको खपा लेता है, बल्कि उसे आया हुआ धन भी कम पड़ जाता है।

मजे की बात ये है कि प्रचार-प्रसार के लिए धन की कोई कमी नहीं, लेकिन उससे जितना योगी की छवि चमकी नहीं, उससे ज्यादा सूचना विभाग के कर्ताओं-धर्ताओं ने मुख्यमंत्री की फजीहत जरूर करा दी। दूसरे प्रदेशों की योजनाओं को यूपी का दिखाकर उन्होंने ‘महाराज’ को तो थोड़ी देर के लिए भले ही खुश कर दिया, लेकिन झूठ के पांव कहां होते हैं। असलियत खुल ही जाती है और यूपी के सीएम की छवि पर उल्टा प्रभाव पड़ता है।

जैसे सूचना विभाग ने ही गोवंश संरक्षण के लिए प्रेस रिलीज के जरिए बड़े बड़े आंकड़े पेश किए थे मगर हकीकत ये है कि बांदा जिले की डीएम को मुख्यमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए जनता से आर्थिक सहायता की गुहार लगानी पड़ रही है।

सूचना के ‘सुपारीबाज’ अफसर
एक बड़े अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि सूचना विभाग हर साल बजट पर बजट बढ़ाए जा रहा है लेकिन, जिस तरह से ये विभाग काम कर रहा है। इससे मुख्यमंत्री की छवि चमकी तो नहीं बल्कि ऐसा लग रहा है कि सूचना विभाग अपने मुख्यमंत्री की इमेज खराब करने की ‘सुपारी’ लेकर बैठा है।

कई बार विभाग के अफसरों की लापरवाही के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इमेज ब्रांडिंग तो नहीं हो पाई उल्टा, सरकार की ग्लोबल जगहंसाई जरूर हो गई। केन्द्र और हर राज्य की सरकार अपने काम काज को जनता के बीच पहुंचाने का काम करती हैं ताकि चुनाव में जनता को बता सकें कि सरकार ने क्या क्या काम किया है।

मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट पैसे की कमी से जूझ रहा

बांदा डीएम ने 'क्यूआर कोड' जारी कर आम जनता से स्वेच्छा से कोष में दान करने की अपील की है।

बांदा डीएम ने ‘क्यूआर कोड’ जारी कर आम जनता से स्वेच्छा से कोष में दान करने की अपील की है।

ऐसे प्रचार-प्रसार का क्या फायदा जब मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए जनता से पैसा मांगना पड़े। बांदा डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने ट्वीट (X) करके बताया कि जनपद के अधिकारियों व कर्मचारियों के एक दिन के वेतन और बांदा के निवासियों के जन सहयोग से ‘गौ संरक्षण एवं संवर्धन कोष’ में एक करोड़ से अधिक की धनराशि जमा की है। साथ ही कोष का ‘क्यूआर कोड’ जारी कर आम जनता से स्वेच्छा से कोष में दान करने की अपील की है।

‘राम राम जपना, पराया माल अपना’ को सूक्त वाक्य बना चुका है सूचना विभाग

सूचना विभाग की ओर से जारी किए गए पोस्टर में किसान हरनाम सिंह की फोटो है। किसान हरनाम सिंह छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की योजनाओं के भी पोस्टर बॉय थे।

सूचना विभाग की ओर से जारी किए गए पोस्टर में किसान हरनाम सिंह की फोटो है। किसान हरनाम सिंह छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की योजनाओं के भी पोस्टर बॉय थे।

किसान हरनाम सिंह की तस्वीर लगाकर उत्तर प्रदेश की सरकार का चेहरा चमकाने की यूपी सूचना विभाग की कोशिश पर घड़ों पानी फिर गया जब किसान ने ही सामने आकर सच बता दिया कि उनका काफी पैसा सरकार के पास बकाया है। उनके साथी किसानों का भी सरकार ने भुगतान नहीं किया है। इतना ही नहीं किसान हरनाम सिंह छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की योजनाओं के भी पोस्टर बॉय थे।

मुख्यमंत्री समीक्षा बैठकों और अपने दौरों के जरिए ये साबित करने में लगे हैं कि प्रदेश में सब कुछ बढ़िया है मगर अफसरों ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर रखा है। लगभग हर विभाग के ऐसे ही हालात हैं, यूपी के इतिहास में पहली बार लोक निर्माण विभाग के काम ना कर पाने की वजह से 9000 करोड़ रूपए केन्द्र को वापस चले गए। जबकि सूचना विभाग अनुपूरक पर अनुपूरक बजट मांगता रहता है।

  • उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना विभाग की इसके पहले की कई कारगुजारियों से भी वाकिफ हो लेते हैं…

अखिलेश के कार्यकाल की लेखपाल भर्ती को अपना बताया, विज्ञापन दिखाने पर किरकिरी

लेखपाल दुर्गेश चौधरी को अखिलेश सरकार में नौकरी मिली थी। जबकि अभी इसका प्रचार-प्रसार योगी सरकार की ओर से किया जा रहा है।

लेखपाल दुर्गेश चौधरी को अखिलेश सरकार में नौकरी मिली थी। जबकि अभी इसका प्रचार-प्रसार योगी सरकार की ओर से किया जा रहा है।

योगी आदित्यनाथ मार्च 2017 में सत्ता में आए, मार्च 2021 में चौथा साल पूरा हुआ तो योगी सरकार के सूचना विभाग ने मुख्यमंत्री की इमेज ब्रांडिंग के लिए करोड़ों के विज्ञापन दिए और जगह जगह होर्डिंग लगवाए और नारा दिया- ‘काम दमदार, योगी सरकार…।’ लेकिन इस नारे ने उनकी सरकार की ही फजीहत करा दी क्योंकि जिस लेखपाल का इंटरव्यू लगाकर ये विज्ञापन चलाया गया था, उस लेखपाल दुर्गेश चौधरी को अखिलेश यादव की सरकार में नौकरी मिली थी।

2015 के बाद लेखपाल की कोई भर्ती उत्तर प्रदेश में हुई ही नहीं थी। सरकार की जमकर बेइज्जती कराने के बाद उस लेखपाल को अफसरों द्वारा डरा धमकाकर नेपाल भगा दिया गया और योगी आदित्यनाथ के ट्विटर हैंडिल से किए गए ट्वीट को भी डिलीट कर दिया गया।

वाहवाही लूटने को बंगाल का मां फ्लाईओवर और अफ्रीकी कंपनी की इंडस्ट्री की फोटो दिखाई

Transforming Uttar Pradesh under Yogi Adityanath के विज्ञापन में जो फोटो दिखाई गई हैं, वो पश्चिम बंगाल के फ्लाईओवर की हैं।

Transforming Uttar Pradesh under Yogi Adityanath के विज्ञापन में जो फोटो दिखाई गई हैं, वो पश्चिम बंगाल के फ्लाईओवर की हैं।

गलतियां करना तो जैसे सूचना विभाग की आदत में शामिल हो चुका है। मार्च में हुई गलती से विभाग के महामूर्धन्य अफसरों ने कुछ भी नहीं सीखा और सितम्बर 2021 में फिर से एक विज्ञापन जारी किया “Transforming Uttar Pradesh under Yogi Adityanath.” इस विज्ञापन में जिस फ्लाईओवर को अपनी सफलता का यशगान करते हुए दिखाया वो असलियत में पश्चिम बंगाल का मां फ्लाई ओवर था।

साथ ही इंडस्ट्री के लिए जिस तस्वीर का प्रयोग किया गया था वो भी HSE विजन का था। ये कम्पनी मुख्य रूप से मिडिल ईस्ट और अफ्रीका में काम करती है, यूपी तो क्या भारत से दूर-दूर तक इसका कोई लेना-देना नहीं था।

‘महाराज जी’ रोज लेते हैं मीटिंग, फिर भी गलतियों पर लगाम नहीं

सोशल मीडिया आज की तारीख में ऐसा सशक्त माध्यम बन चुका है जिसे कोई भी राजनीतिक पार्टी और सरकार नकार नहीं सकती लेकिन जिस तरह से योगी सरकार के अफसर इस माध्यम को मैनेज कर रहे हैं वो सवालों के घेरे में है। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री खुद भी कई बार अपनी नाराजगी जता चुके हैं, मगर हाल ढाक के तीन पात वाला है।

मुख्यमंत्री हर रोज सुबह सूचना विभाग की मीटिंग लेते हैं जिसमें प्रमुख सचिव (सूचना) संजय प्रसाद, सूचना निदेशक शिशिर सिंह, अपर निदेशक सूचना अंशुमान राम त्रिपाठी जो कि भारतीय रेलवे सुरक्षा सेवा के अधिकारी हैं, दोनों सूचना सलाहकार मृत्युंजय कुमार सिंह और रहीस सिंह शामिल होते हैं। सरकार के बारे में पॉजिटिव और निगेटिव खबरों पर बाकायदा मुख्यमंत्री से चर्चा होती है।

क्रिएटिव एजेंसी जो विज्ञापन तैयार करती है, सूचना विभाग के बड़े अफसर उसका अनुमोदन करते हैं तब वो विज्ञापन छपने जाता है और होर्डिंगों पर लगता है। इतने चेक पोस्ट के बाद भी अगर गलतियां हो रही हैं तो जिम्मेदार कौन है? ‘सुपारीबाज’ अफसरों पर मुख्यमंत्री की डांट का भी कोई असर नहीं होता वरना एक जैसी ही गलतियां बार बार नहीं होतीं।

यह फोटो अंशुमान राम त्रिपाठी, शिशिर सिंह, रहीस सिंह और मृत्युंजय कुमार की है। ये अधिकारी सीएम के साथ मीटिंग में शामिल होते हैं।

यह फोटो अंशुमान राम त्रिपाठी, शिशिर सिंह, रहीस सिंह और मृत्युंजय कुमार की है। ये अधिकारी सीएम के साथ मीटिंग में शामिल होते हैं।

रिकार्ड समय तक टिके रहने वाले सूचना निदेशक

हैरत की बात ये है कि इतने ब्लंडर करने के बाद भी सूचना विभाग के किसी भी अधिकारी का ट्रांसफर तक नहीं हुआ बल्कि जो लोग रिटायर होते जा रहे हैं उन्हें संविदा पर फिर से रख लिया जाता है, जैसे जॉइंट डायरेक्टर हेमंत कुमार सिंह फिर से विभाग में संविदा पर कार्यरत हैं।

यूपी में सूचना निदेशक के पद पर प्रमोटी आईएएस शिशिर सिंह नवंबर 2018 से तैनात हैं और सबसे ज्यादा समय तक सूचना निदेशक बने रहने का रिकार्ड भी बना चुके हैं। साथ ही अपने मुख्यमंत्री की बार बार फजीहत कराने का ब्लंडर भी उसी रिकार्ड में शामिल हैं।

मुख्यमंत्री हर रोज सुबह सूचना विभाग की मीटिंग लेते हैं जिसमें सरकार के बारे में पॉजीटिव और निगेटिव खबरों पर चर्चा होती है।

मुख्यमंत्री हर रोज सुबह सूचना विभाग की मीटिंग लेते हैं जिसमें सरकार के बारे में पॉजीटिव और निगेटिव खबरों पर चर्चा होती है।

फेक अकाउंट से बुलडोजर और दंगा रोधी नीति की तारीफ के झांसे में फंसे
ऑस्ट्रेलिया के प्रोफेसर एन जॉन कैम, नाम के आदमी ने एक फर्जी ट्विटर हैंडिल से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बुलडोजर नीति की जमकर तारीफ की थी और उन्हें फ्रांस में हो रहे दंगों को रोकने के लिए भेजने को कहा जिस पर योगी आदित्यनाथ ऑफिस के हैंडल से धन्यवाद ज्ञापित किया। बाद में कई फैक्ट चैकर्स ने ये दावा किया कि ये हैंडल फर्जी है।

उसके पुराने ट्वीट देखने के बाद इसका खुलासा हुआ कि ये हैंडिल भारत के ही नोएडा से संचालित होता है और किसी नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव का है। उसकी भाषा विपक्ष के नेताओं के लिए काफी अमर्यादित रही है। इस मामले के खुलने के बाद पूरे दिन यूपी सरकार और योगी आदित्यनाथ की सोशल मीडिया पर किरकिरी होती रही।

टाइम मैगजीन में भी विज्ञापन छपवा कर वाहवाही लूटने की कोशिश में हुई थी फजीहत

अमेरिका के टाइम्स स्कवायर पर भी योगी आदित्यनाथ के पोस्टर लगने और टाइम मैगजीन में तारीफ भरा आर्टिकल (पेड) छपने को लेकर भी सोशल मीडिया में काफी मजे लिए गए थे कि महाराज जी अमेरिका में चुनाव लड़ेंगे। योगी जी का सूचना विभाग यूपी के अलावा अन्य कई प्रदेशों में भी प्रदेश में चल रही योजनाओं की होर्डिंग लगाकर प्रचार-प्रसार करता रहता है।

अफसरशाही पर नहीं लग रही लगाम, राज्य और केंद्र दोनों परेशान
सबसे बड़ा राज्य होने के नाते उत्तर प्रदेश की राजनीतिक महत्ता है। 80 लोकसभा सीटों वाला ये राज्य, देश की सत्ता की दशा और दिशा तय करता है तभी गुजरात के 12 साल तक सफल मुख्यमंत्री रहने के बाद भी नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की काशी को अपनी कर्मभूमि के तौर पर चुना। मगर राज्य की अफसरशाही जिस तरह से काम कर रही है उससे केन्द्र और राज्य दोनों के ही नेताओं में काफी नाराजगी है।

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