Jaipur News : राज्यसभा में घनश्याम तिवारी ने कहा कि जयपुर, राजस्थान में सांगानेरी हाथ-ठप्पा छपाई हस्तकला विश्व प्रसिद्ध है, जो कि क़रीब 500 वर्ष पुराना लघु उद्योग है. वर्तमान में इस उद्योग से निर्मित वस्त्रों की स्वदेशी पूर्ति के साथ विदेशों में भी निर्यात भी किया जाने लगा है जिससे सरकार को विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होने लगी है. सांगानेर हाथ-ठप्पा छपाई कार्य कुटीर उद्योग की तरह घरों में ही किया जाता है. इस उद्योग में छपाई उत्पाद हेतु जो रंग काम में लाए जाते है, वे प्राकृतिक और वनस्पतिक होते है जैसे हरडा, दावडा, आल की लकडी का रंग आदि.
वर्ष 1944 में पंजीकृत कैलिको प्रिन्टर्स काॅ-आपरेटिव सोसाईटी सांगानेर द्वारा हाथ-ठप्पा छपाई वस्त्रों के उत्पाद निर्माण से लेकर विक्रय तक की व्यवस्था की जाती है. सोसाईटी स्वयं कच्चा माल देकर अपना उत्पाद बनवाती है. सोसाईटी के निर्मित उत्पाद जैसे बैडशीट, पिलोकवर, साडी, सूट, इत्यादि है.
इस उधोग में बहुत कम मात्रा में पानी का उपयोग किया जाता है तथा उपयोग के बाद निकलने वाला पानी नगण्य प्रदूषित होता है. इस उधोग को भारत सरकार से GI प्रमाणपत्र भी प्राप्त है. वर्तमान में सरकार द्वारा इस उधोग को प्रदूषण की रेड श्रेणी में रखा है.
तिवारी ने कहा कि इस हस्तकला उधोग को सरकारी सुविधा एवं संरक्षण के बजाय आये दिन राजस्थान राज्य प्रदूषण नियन्त्रण मण्डल द्वारा बिजली कटाई के नोटिस दिए जा रहे है. सांगानेर में एक अन्य इसी प्रकृति का हाथ काग़ज़ उधोग है, जिसे ऑरेंज प्रदूषण श्रेणी में डाला हुआ है. अतः सांगानेर की प्रसिद्ध हाथ-ठप्पा छपाई उद्योग को प्रदूषण की रेड श्रेणी से हटाया जाकर ओरेन्ज श्रेणी में स्थानान्तरित किया जाए.
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