आजमगढ़एक घंटा पहले
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यूपी में खोई जमीन की तलाश में जुटी कांग्रेस, आजमगढ़ जेल में बंद जिलाध्यक्ष प्रवीण सिंह से जेल से मिलकर बाहर आते कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष अजय राय यूपी में खोई कांग्रेस की जमीन तलाशने की कवायद में जुट गए हैं। इसका ताजा उदाहरण अमेठी और आजमगढ़ की घटना से देखा जा सकता है। जहां अमेठी में युवक कांग्रेस अध्यक्ष के साथ भाजपा के नेताओं द्वारा की गई मारपीट की घटना के बाद अमेठी पहुंचकर घायल नेता से मुलाकात कर कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने की कोशिश की कि आपके साथ नेतृत्व खड़ा है। ऐसे में जिस तरह से कोविड कॉल के मामले में आजमगढ़ में कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रवीण सिंह को 28 अगस्त को जेल जाना पड़ा। एक सितंबर को जिस तरह से जिले की इटौरा जेल पहुंचकर अपनी पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रवीण सिंह से मुलाकात कर उनका हौंसला बढ़ाने का काम करने के साथ ही जिला प्रशासन और सरकार पर निशाना साधते हुए यहां तक कह डाला कि हम लोग डरने वाले नहीं है। निश्चित रूप से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के इस तेवर से कांग्रेस के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का हौंसला बढ़ेगा। अजय राय ने कहा, भाजपा सरकार जानबूझकर कांग्रेस के नेताओं को परेशान कर रही है। पर हम डरने वाले नहीं हैं। हमारा एक पैर जेल के भीतर होगा तो दूसरे पैर से हम संघर्ष करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष द्वारा भरे जा रहे इस जोश का निश्चित रूप से पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर पड़ेगा। जमीनी समझ रखने वाले अजय राय निश्चित रूप से कांग्रेस के उन नेताओं को पार्टी से जोड़ने की जुगत में लगे हुए हैं जो किन्हीं कारणों से पार्टी की उपेक्षा से आहत होकर किनारे खड़े हुए हैं। ऐसे में निश्चित रूप से अपने इस प्रयोग में सफल होते हैं तो इसका फायदा पार्टी को जरूर मिलेगा।
कमलापति जयंती के माध्यम से सवर्णों को साधने की कोशिश
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने सवर्णों को कांग्रेस पार्टी से जोड़ने को लेकर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों को निर्देश दिया है कि तीन सितंबर को पंडित कमलापति त्रिपाठी की जयंती मनाएं। निश्चित रूप से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष इस नए प्रयोग के बहाने सवर्णों को कांग्रेस पार्टी से जोड़ने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। पंडित कमलापति त्रिपाठी केन्द्रीय मंत्री के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। कमलापति त्रिपाठी की गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में होती थी।