यूक्रेन जैसा समर्थन म्यांमार को नहीं: सेना ने 7 छात्रों को सुनाई मौत की सजा, लोकतंत्र समर्थक दुनिया से मदद मांग रहे

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नेपीडावएक घंटा पहले

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म्यांमार की मिलिट्री कोर्ट ने 7 छात्रों को सत्ता के खिलाफ प्रदर्शन करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। ये सभी छात्र म्यांमार की डैगन युनिवर्सिटी के बताए जा रहे हैं। इन सातों छात्रों को अप्रैल के महीने में अरेस्ट किया गया था और काफी समय में मिलिट्री ट्रिब्यूनल में इनका ट्रायल चल रहा था।

इन सभी छात्रों पर बैंक मैनेजर और पूर्व मिलिट्री ऑफिसर के हत्याकांड में शामिल होने के आरोप लगे थे। मौत की सजा देने के फैसले की युनिवर्सिटी स्टुडेंट यूनियन के सदस्य ने आलोचना की है। को नान लिन ने कहा कि हमें अपने सातों साथियों की चिंता है। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी सभी इंटरनेशनल कानूनों का उल्लंघन कर मिलिट्री गवर्नमेंट ने चार डेमोक्रेसी के समर्थकों को मौत की सजा दी थी।

नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी) के प्रमुख दुआ लशी ला ने म्यांमार की मिलिट्री गवर्नमेंट से लड़ने के लिए दुनिया से मदद मांगी है।

नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी) के प्रमुख दुआ लशी ला ने म्यांमार की मिलिट्री गवर्नमेंट से लड़ने के लिए दुनिया से मदद मांगी है।

म्यांमार में 40 साल बाद लौटी फांसी की सजा

म्यांमार के मीडिया पोर्टल द इर्रावाडी के मुताबिक फरवरी 2021 के तख्तापलट के बाद से म्यांमार की सरकार ने 2500 लोगों को मारा है। सरकार पर विरोध को दबाने और विरोधियों से निपटने के लिए लगातार मौत की सजा सुनाए जाने के आरोप लग रहे हैं। पोर्टल की मानें तो म्यांमार में 40 साल बाद इस साल जुलाई में किसी को मौत की सजा दी गई थी। सरकार ने एक्टिविस्ट को जिम्मी, नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के लॉमेकर को फ्यो जेया थॉ समेत दो और लोगों को फांसी पर लटकाया था। इसके बाद से भी कई लोगों को मौत की सजा दी गई है। एक अनुमान के मुताबिक एक साल में लगभग 100 लोगों को मौत की सजा दी गई है।

म्यांमार में अभी तक 2000 लोग मारे जा चुके हैं

एक इंटरव्यू में नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी) के प्रमुख दुआ लशी ला ने म्यांमार की मिलिट्री गवर्नमेंट से लड़ने के लिए दुनिया से सैन्य सहायता मुहैया कराने की अपील की थी। दुआ लशी म्यांमार की एक अज्ञात जगह से रॉयटर्स सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इसी कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि पिछले साल फरवरी से लेकर अब तक म्यामांर की सेना ने 2000 लोकतंत्र समर्थकों को मार चुकी है। लशी ने इन मौतों को संघर्ष की कीमत की कीमत बताया था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि म्यांमार को दुनिया से यूक्रेन जैसा समर्थन नहीं मिल रहा है।

कोर्ट ने आंग सान सू की को सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने का दोषी माना था।

कोर्ट ने आंग सान सू की को सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने का दोषी माना था।

सू की को 4 साल की जेल

दिसंबर 2021 में म्यांमार की नोबेल पुरस्कार विजेता और लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू की को 4 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। म्यांमार में 1 फरवरी 2021 की रात सेना ने तख्तापलट करते हुए सू की हाउस अरेस्ट कर लिया था। मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग तब से देश के प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा था कि 2023 में आपातकाल खत्म कर दिया जाएगा और आम चुनाव कराए जाएंगे। तख्तापलट के बाद म्यांमार में खूनी संघर्ष हुआ था। इसमें 940 लोग मारे गए थे।

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