यहां है देश की नृत्य मुद्रा में गणेश भगवान की सबसे बड़ी मूर्ति, परमार राजाओ से जुड़ा है इतिहास

दीपक पांडेय/खरगोन. देश के कोने-कोने में विभिन्न स्वरूपों में देवी-देवताओं के अनेकों मंदिर स्थित है. इन मंदिरों में कई ऐसे मंदिर है जहां स्थापित प्रतिमाएं अद्भुत हैं जो अपने आप में अनोखी है. आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारें में बताने जा रहे है, जहां स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा अन्य स्थानों से अलग है.

हम बात कर रहे है श्री षष्टानंद सिद्धेश्वर गजानंद मंदिर की, जो मध्यप्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय से 59 किलोमीटर और इंदौर से करीब 90 किलोमीटर दूर मंडलेश्वर के नजदीक चोली गांव में स्थित है. बताया जाता है की देश में सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा यहां मौजूद है.

क्या है पुरातत्व विभाग की राय ?
मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की नृत्य मुद्रा में छः भुजाओं के साथ साढ़े ग्यारह फिट ऊंची मूर्ति है, यह मूर्ति एक पत्थर की शिला पर बनी है. नृत्य मुद्रा में पाषाण से निर्मित भगवान गणेश की यह प्रतिमा मध्यप्रदेश ही नही बल्कि पूरे देश में इकलौती बताई जाती है. पुरातत्व विभाग भी इस बात की पुष्टि करता है की चोली के अलावा और कहीं पर भी नृत्य मुद्रा में पाषाण से निर्मित इससे बड़ी मूर्ति की जानकारी उनके पास अबतक नहीं है. इसलिए इसे नृत्य मुद्रा में सबसे बड़ी मूर्ति कहां जाता है.

नृत्य मुद्रा में गणेश भगवान की सबसे बड़ी मूर्ति
मंदिर के पुजारी महेश भट्ट और किशोर सिंह ठाकुर (तकन बाबा) बताते है की चोली के श्री षष्टानंद सिद्धेश्वर गजानंद मंदिर का इतिहास परमार काल से जुड़ा है. यहां स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा नौंवी शताब्दी के आसपास की है और पूरे देश में नृत्य मुद्रा में छः भुजाओं वाली पाषाण से निर्मित सबसे बड़ी मूर्ति है. भगवान के श्रंगार और वस्त्र पहनाने के लिए सीढ़ी का उपयोग करना पड़ता है.

अनंत चतुर्दशी पर होता है बड़ा आयोजन
चोली गांव के इस मंदिर में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. नौ दिनों तक भगवान का आकर्षक श्रंगार होता है. 10 वें दिन अनंत चतुर्दशी पर यहां बड़ा आयोजन होता है. जिसमे दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते है. भगवान के दर्शन करते है.पुजारी महेश भारती अपने परिवार के 7वीं पीढ़ी के है जो मंदिर में सेवाएं दे रहे है.

CM ने भी लिया आशीर्वाद
तकन बाबा और मंदिर के पुजारी महेश भारती का कहना है की भगवान स्वयंभू है. यहां जो भी मनोकामनाएं मांगी जाती है पूरी होती. बड़े-बड़े नेता अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत यहीं, इसी मंदिर में भगवान का आशीर्वाद लेने के बाद ही करते है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मंदिर के आकार भगवान का आशीर्वाद ले चुके है.

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