यहां शमशान में बिराजती है मां काली! इसके पीछे की है अनोखी कहानी

विक्रम कुमार झा/पूर्णिया. भारत की सभ्यता संस्कृति काफी पुरानी है. यहां पर कई शक्तिशाली मंदिर हैं. जिसकी स्थापना की अलग कहानी है. इन मंदिरों की अलग-अलग मान्यताएं हैं. ऐसा ही एक मंदिर श्मशान घाट में मां काली का है. इसकी स्थापना की कहानी बिल्कुल अलग है. यह पूर्णिया जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर हरदा के कारी कोसी नदी किनारे कवैया जाने वाली सड़क किनारे स्थित है.

यहां साक्षात मां काली के दर्शन से मिलती है मुक्ति

जानकारी देते हुए वहां के स्थानीय ग्रामीण हरी लाल यादव, जितेंद्र कुमार सहित अन्य लोगों ने कहा यह मंदिर अपने आप में बेहद खास है. उन्होंने कहा कि यह मंदिर आज से कई वर्ष पूर्व यहां के ही ग्रामीणों के द्वारा बनाई गई थी. यह मंदिर कारी कोसी नदी किनारे स्थित श्मशान घाट में स्थित है. यह शमशान घाट मुक्ति का धाम है. जहां लोग मरने के बाद मुक्ति पाने के लिए यहां आते हैं. यहां साक्षात मां काली के दर्शन से मुक्ति मिलती है. उन्होंने कहा इस मुक्तिधाम में इस माता काली के मंदिर के बन जाने से इस गांव के लोगों का भी भला हो रहा है.

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माता ने निकाला था जेल से, तब हुआ निर्माण

गांव वालों ने कहा कि इस मंदिर को बनाने वाले लोग इसी गांव के थे. उन्हें किसी कारणवश जेल की सजा हो गई थी. जिसके बाद उन्होंने माता काली से प्रार्थना की. माता काली ने उन्हें स्वप्न में आकर मंदिर निर्माण करने की बात कही. वह जब जेल से निकला तो उन्होंने सर्वप्रथम श्मशान घाट में ही माता काली की मंदिर बनवा दिया. तभी से लोग पूजा अर्चना करना शुरू कर दिये. इस मंदिर परिसर में आकर लोगों को अपने जीवन की असलियत पता चलता है.

हर साल श्मशान वाली मां काली की होती धूमधाम से पूजा

लोगों का कहना है कि यह मंदिर में लोग पूजा करने आते हैं. साथ ही साथ जब काली पूजा का समय आता है तो उसे समय इस मंदिर में भव्य रूप से पूजा पाठ के साथ अन्य आयोजन भी किए जाते हैं. गांव के लोगों ने कहा इस मंदिर में आने वाले लोगों की निश्चित ही मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

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