महिला आरक्षण पर मेनका गांधी का बयान, कहा- हाशिए पर खड़ी महिलाओं की बदलेगी किस्मत

Maneka Gandhi

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संसद की सत्र की कार्यवाही 19 सितंबर को नई संसद भवन में चल रही है। इससे पहले पुरानी संसद में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों के साथ एक स्पेशल फोटो शूट किया गया। बता दे कि इस संसद की विशेष सत्र में 18 सितंबर यानि सोमवार को मोदी कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है।

संसद का विशेष सत्र इन दिनों चल रहा है। मंगलवार 19 सितंबर को संसद के विशेष सत्र का दूसरा दिन है। संसद की सत्र की कार्यवाही 19 सितंबर को नई संसद भवन में चल रही है। इससे पहले पुरानी संसद में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों के साथ एक स्पेशल फोटो शूट किया गया। बता दे कि इस संसद की विशेष सत्र में 18 सितंबर यानि सोमवार को मोदी कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है।

अब इस महिला आरक्षण बिल्कुल लोकसभा में भी सरकार जल्दी से जल्दी पेश करने वाली है। गौतम भाई की बहनों का नहीं है जो महिला आरक्षण बिल्कुल सदन के पटल पर रखा जाएगा। वर्ष 1996 के बाद से महिला आरक्षण वेतन को 27 साल में कई बार सांसद ने उठाया जा चुका है। दुर्भाग्यपूर्ण दोनों सदनों में यह मुद्दा पास नहीं हो सका। बता दे कि वर्ष 2010 में हंगामा के कारण राज्यसभा में इस बिल को पास कर दिया गया था लेकिन यह लोकसभा में पारित नहीं हो सका था।

महिला आरक्षण बिल के पारित होने के बाद मेनका गांधी का भी बयान आया है। मेनका गांधी ने सांसद ने कहा कि आज का दिन बेहद ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण के जरिए जो महिलाएं हास्य पर खड़ी है उनकी किस्मत बदलेगी। उन्होंने कहा कि हम संसद भवन के नए भवन में जा रहे हैं। मेनका गांधी ने बताया कि जब उनकी वह उम्र 32 वर्ष थी तब वह पहली बार संसद में आई थी। यानी उनके पति की मौत के 9 साल के बाद। प्रियंका गांधी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेई की नीतू तुम्हें ही उन्होंने बीजेपी का दामन थामा था।

ऐसा रहा है इतिहास

महिला आरक्षण बिल के इतिहास की बात करें तो इसे सबसे पहले सितंबर 1996 में एचडी देवगौड़ा की सरकार ने संसद में पेश किया था। बीते 27 वर्षों से हर सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पास करने की पुरजोर कोशिश की है। बता दे कि यूपीए सरकार ने 2010 में राज्यसभा में इस बिल को पारित करवा दिया था। हालांकि लोकसभा में यह विधेयक फिर से अटक गया था। यानी कुल मिलाकर महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने का इतिहास काफी मुश्किलों भरा रहा है। मगर केंद्र की मोदी सरकार ने इस महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने में विशेष सत्र के दौरान सफलता हासिल कर ली है। 

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