अगस्त 2023 के आखिरी दिन (31 तारीख) से भादो के महीना शुरू हो जाई. अइसे त हिंदू पंचांग में हर महीना के अलग- अलग महातम बा. बाकिर भादो के एसे बिसेस मानल जाला कि एह महीना में कई गो पबित्तर तिवहार परेला- कृष्ण जन्माष्टमी आ गणेश चतुर्थी त परबे करेला, हरतालिका तीज, राधा अष्टमी, अनंत चतुर्दशी, कजरी तीज आ ऋषि पंचमी नियर खास तिवहार परेला. तीज तिवहार के चर्चा का पहिले आईं जानि लिहल जाउ जे भादो महीना पर घाघ आ भड्डरी का कहले बा लोग.
सावन हर्रे, भादों चीता.
क्वार मास गुड़ खाहू मीता..
(एह कहाउत में लगातारे तीन गो महीना के खानपान के बात कहि दीहल बा. सावन में हर्रे के सेवन, भादो में चित्रक के चूर्ण, कुआर में गुर खाए के चाहीं.) अब रउरा कहब कि चित्रक का ह? त चित्रक एगो बहुत गुणकारी झाड़ीनुमा पौधा ह. चरक संहिता में एकर बड़ा गुणगान कइल बा. लिखल बा-
चित्रक मूलं दीपनीय पाचनीय गुद शोथार्श:शू लहराणाम.
यथास्वं चित्रकः पुष्पे: ज्ञेयः पीत सितासीते:!
विस्तार से बतावल बा कि एह वनौषधि के कटु रस पाचन क्रिया के उद्दीप्त करेला. ई कई गो रोगन के नाश करेला. जैसे- ग्रहणी, चमड़ा के रोग,सूजन, बवासीर, पेट के कीरा बोखार, कमजोरी, खांसी, नजला वगैरह के दूर करेला. सोचीं, घाघ कतना जानकार रहले कि आयुर्वेद के आ वनस्पति के कुल रहस्य जानत रहले.
अब एगो अउरी कहाउत देखीं- सावन साग न भादों दही. त सावन में साग आ भादो में दही ना खाए के चाहीं. त जे दही के सौखीन बा, ओकरा ध्यान देबे के चाहीं.
अब आईं भादो के महातम पर. सावन भगवान शिव जी के महीना कहल जाला आ भादो भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण के. भगवान कृष्ण के भगवान के पूर्ण अवतार कहल बा. एही महीना में भगवान गणेश जी के भी धूमधाम से पूजन होला. भाद्र के अर्थ कहल बा – कल्याण करे वाला. भाद्रपद के अर्थ बतावल बा – भद्र परिणाम देबे वाला. एह महीना के ब्रत के महीना कहल जाला. लोग एमें ब्रत, उपवास आ नियम निष्ठा से रहेला. अब आईं देखल जाउ कि हमनी के पुरनिया लोग का नियम बता गइल बा. कहले बा लोग कि
जेकरा संतान सुख नइखे ओकरा जन्माष्टमी का दिने भगवान कृष्ण के जन्म करावे वाला अनुष्ठान करेके चाहीं भा कृष्ण जन्मोत्सव समारोह में भाग लेबे के चाहीं. आत्मविश्वास बढ़ावे वाला भगवद्गीता के पाठ करेके चाहीं, बिद्या, बुद्धि आ ज्ञान के देवता गणेश भगवान के पूजा- पाठ करेके चाहीं, रोज गणेश जी के दूब आ लड्डू चढ़ावे के चाहीं, पूरा भादो महीना सात्विक भोजन करेके चाहीं. मांस- मछरी से दूर रहे के चाहीं. जदि पूरा सरधा से ई कुल पालन कइल जाई त कष्ट आ बाधा दूर होई आ मनोकामना के पूर्ति होई.
कुछ पुरनिया लोग कहि गइल बा लोग कि भादो में पूजा से दस गो देवता लोग खुस होला लोग- भगवान कृष्ण, भगवान गणेश, भगवान शिव, हनुमान जी, सूर्यदेव, श्री राधा जी, पितृदेव, बिश्वकर्मा जी, माता पार्वती जी आ भगवान विष्णु. अब रउरा पूछब कि जब भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु के अवतार हउवन त एइजा कृष्ण भगवान आ विष्णु भगवान के अलग- अलग कके काहें लिखल बा? त सरकार, ई हमार कहनाम नइखे. ई पुरनिया लोग कहि के गइल बा. कुछ सोचिए के कहले होई लोग.
कई लोग भादो आ भद्रा के एकही जानेला. एह भ्रम के दूर क लीं जा. भादो त एगो महीना ह जौन सावन महीना का बाद आवेला. भद्रा योग तब परेला जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ भा मीन राशि में विचरण करेले. भद्रा योग में कौनो शुभ काम ना करेके चाहीं. कहीं यात्रा करेके बा त भद्रा योग में मत करीं. ज्योतिष कथा में भद्रा के भगवान सूर्य के पुत्री बतावल बा. भद्रा अपना भाई शनि नियर कड़क स्वभाव के हई. एही से उनका योग में कौनो शुभ काम ना करेके चाहीं.
बाकिर कुछ तांत्रिक लोगन खातिर भद्रा महत्वपूर्ण हो जाला. एह मौका पर ऊ लोग तंत्र के कुछ बिसेस साधना करेला लोग. भद्रा काल में देखल बा कि तांत्रिक लोग एकांत में भा श्मशान में तंत्र सिद्धि खातिर साधना में लीन हो जाला लोग.
एगो बड़ा रोचक आ पवित्र बात बा. कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि के हेरंब संकष्टी चतुर्थी कहल जाला. एकरे के महा स्कंद हर चतुर्थी भी कहल जाला. एह दिने बहुला चौथ भी मनावल जाला. संकष्टी चतुर्थी ब्रत गणपति जी खातिर आ बहुला चौथ ब्रत भगवान श्रीकृष्ण जी खातिर कइल जाला. बहुला में गाय के पूजा कइल जाला. कहल बा कि कृष्ण पक्ष के चतुर्थी के दिने संकष्टी चतुर्थी ब्रत कइला पर बहुला ब्रत भी हो जाला. ओह दिन गणेश जी आ गाय के पूजा क देब त एकही ब्रत में गणेश जी आ भगवान कृष्ण के पूजा हो जाई. बा नू आनंद के बिषय. पुरनिया लोग भा ज्योतिषी लोग बड़ा सोच समझ के ई कुल तिवहार बनवले बा लोग. एही से संकष्ठी चतुर्थी के बड़ा महातम बा. कहल जाला कि एह ब्रत से संकट टरि जाला भा आवे वाला संकट के नाश हो जाला.
(डिसक्लेमर – लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं.)
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FIRST PUBLISHED : August 30, 2023, 13:01 IST