भाजपा ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार का विरोध करने के लिये राहुल गांधी की आलोचना की

उन्होंने दावा किया कि देश को एकजुट करने का प्रयास करने वाली कोई भी चीज कांग्रेस के लिए अस्वीकार्य होगी, क्योंकि वह दशकों से विभाजन और संघर्षों पर फली-फूली है। भाजपा नेता ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने का विचार साहसिक है, जो भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को और समृद्ध एवं सुव्यवस्थित करने में मददगार होगा।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार का विरोध करने में ‘संकीर्ण’ रुख अपनाने के लिये रविवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आलोचना की।
भाजपा ने कहा कि देश में 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे तथा इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थीं, तब भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर चर्चा हुई थी।
भारतीय जनता पार्टी के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने ‘एक्स (पूर्ववर्ती ट्विटर)’ पर कहा, ‘‘हमारे संस्थापकों ने जिस व्यवस्था (एक साथ चुनाव) की परिकल्पना की थी, उस पर वापस जाने के लिए पहली बार गंभीर रूप से विचार 1982 में हुआ था, जब इंदिरा गांधी सत्ता में थीं।

तब से विधि आयोग, निर्वाचन आयोग और संसदीय समितियों ने इसपर विचार किया है और इस व्यवस्था की वकालत की है।’’
मालवीय ने कहा, ‘‘राहुल गांधी को यह याद दिलाने की जरूरत है कि भारत ने अपनी चुनावी प्रक्रिया 1952 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने से शुरू की थी, जो 1967 तक जारी रही।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने अपनी ‘अवसरवादी’ राजनीति के कारण इस व्यवस्था को बाधित कर दिया और देश उस व्यवधान से कभी उबर नहीं सका और चुनाव चक्र और टूटता गया।’’
कांग्रेस नेता पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘क्या राहुल गांधी यह कहना चाह रहे हैं कि नेहरू, इंदिरा और देश की कई संस्थाएं हमारे संविधान में निहित भारत के विचार को कमजोर कर रही हैं और हमारे संघीय ढांचे पर हमला कर रही हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘केवल राहुल गांधी जैसा मूर्ख व्यक्ति ही ऐसी अपमानजनक बात कर सकता है।’’

मालवीय ने आरोप लगाया कि उनका संकीर्ण दृष्टिकोण कभी भी ‘एक भारत, एक चुनाव’ की अवधारणा की सराहना नहीं कर पाएगा।
उन्होंने दावा किया कि देश को एकजुट करने का प्रयास करने वाली कोई भी चीज कांग्रेस के लिए अस्वीकार्य होगी, क्योंकि वह दशकों से विभाजन और संघर्षों पर फली-फूली है।
भाजपा नेता ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने का विचार साहसिक है, जो भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को और समृद्ध एवं सुव्यवस्थित करने में मददगार होगा। उन्होंने कहा कि इससे देश को शासन एवं विकास के लिए अधिक समय मिलेगा।

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