बड़ा हादसा: Agra के जयपुर हाईवे रोड पर एक ट्रक और फाॅर्स ट्रैवलर की भीषण टक्कर, 4 लोगों की दर्दनाक मौत

ट्रक की चपेट में आया फाॅर्स ट्रैवलर

ट्रक
की
चपेट
में
आया
फाॅर्स
ट्रैवलर

बता
दें
कि
चश्मदीद
के
अनुसार
वह
लोग
एक
फाॅर्स
ट्रैवलर
गाडी
में
सवार
होकर
बीम
से
पटना
जा
रहे
थे।
गाडी
में
लगभग
12-13
लोग
सवार
थे
और
लगभग
सुबह
के
5
बजे
ड्राइवर
ने
आगे
चल
रहे
एक
ट्रक
को
ओवरटेक
करने
का
प्रयास
किया।
क्योंकि
ठंड
के
मौसम
में
रोड
पर
काफी
कोहरा
होता
है
इसलिए
गाड़ी
चला
पाना
और
ओवरटेक
क्र
पाना
थोड़ा
मश्किल
होता
है।
ऐसे
में
ड्राइवर
ने
बार-बार
ट्रक
से
साइड
मांगी।
इसी
दौरान
ओवरटेक
करते
समय
गाडी
का
संतुलन
बिगड़
गया
और
वह
ट्रक
की
चपेट
में

गई।
हादसा
इतना
भयं
था
कि
फाॅर्स
ट्रैवलर
गाडी
के
परखच्चे
उड़
गए।
इस
हादसे
में
3
लोगों
की
मौके
पर
ही
मौत
हो
गई
जबकि
आधा
दर्जन
लोग
गंभीर
रूप
से
घायल
हो
गए।
सभी
को
तत्काल
अस्पताल
में
इलाज
के
लिए
भर्ती
कराया
गया
पर
दुर्भाग्यवश
घायलों
में
से
एक
की
अस्पताल
में
इलाज
के
दौरान
मौत
हो
गई।

हादसे में मौत के मामले में भारत पहले पायदान पर

हादसे
में
मौत
के
मामले
में
भारत
पहले
पायदान
पर

वैसे
देखा
जाए
तो
हादसा
एक
ऐसी
अनहोनी
है
जिसपर
किसी
का
बस
नहीं
चलता।
कहने
वाले
यह
भी
कहते
हैं
कि
होनी
को
कोई
नहीं
टाल
सकता,
जो
होना
है
वो
होकर
रहेगा।
हादसों
में
किसकी
गलती
है
और
किसकी
नहीं
यह
तो
बाद
का
विषय
होता
है
पर
सत्य
तो
यह
है
कि
गलती
किसी
की
भी
हो,
अचानक
हुए
हादसों
में
निर्दोषों
की
जान
जाना
सबसे
अधिक
दुखद
होता
है।
भारत
में
हर
साल
करीब
डेढ़
लाख
लोगों
की
सड़क
हादसे
में
मौत
होती
है।
दुनिया
में
यह
आंकड़ा
सबसे
ज्यादा
भारत
में
है।
अप्रैल
2022
में
सड़क
परिवहन
और
राजमार्ग
मंत्री
नितिन
गडकरी
ने
राज्यसभा
को
बताया
कि
सबसे
ज्यादा
सड़क
हादसों
के
मामले
में
भारत
दुनिया
के
देशों
में
तीसरे
नंबर
पर
है।
वहीं
सड़क
हादसे
में
मौत
के
मामले
में
भारत
पहले
पायदान
पर
है।
हादसे
में
होने
वाली
मौतों
से
पीड़ित
परिवार
बिखर
जाता
है।
अगर
कमाऊ
सदस्य
की
सड़क
हादसे
में
मौत
हो
जाए
तो
पीड़ित
परिवार
भावनात्मक
रूप
से
तो
टूटता
ही
है,
आर्थिक
रूप
से
भी
टूट
जाता
है।
ऐसे
में
जानना
जरूरी
है
कि
किसी
सड़क
हादसे
में
कोई
व्यक्ति
दुर्भाग्य
से
जख्मी
हो
जाए
या
उसकी
मौत
हो
जाए
तो
संबंधित
व्यक्ति
या
पीड़ित
परिवार
कैसे
मुआवजा
हासिल
कर
सकता
है।
इसकी
प्रक्रिया
क्या
है?
ट्राइब्यूनल
या
कोर्ट
के
इससे
जुड़े
महत्वपूर्ण
फैसले
क्या
हैं?

केस टु केस अलग होता है मुआवजा, कई बातों से होता है तय

केस
टु
केस
अलग
होता
है
मुआवजा,
कई
बातों
से
होता
है
तय

सड़क
दुर्घटना
में
मौत
पर
मुआवजे
की
कोई
राशि
निश्चित
नहीं
की
गई
है।
यह
केस-टु-केस
निर्भर
करता
है
यानी
हर
एक
केस
के
तथ्यों
पर
निर्भर
होता
है।
मुआवजे
की
राशि
तय
करते
वक्त
अदालतें
बहुत
सी
बातों
को
ध्यान
में
रखती
हैं।
मुआवजा
नुकसान
पर
भी
निर्भर
करता
है।
नुकसान
शारीरिक
या
मानसिक
दोनों
हो
सकता
है।
इसके
अलावा
हादसे
में
किसी
व्यक्ति
को
किस
तरह
की
चोट
लगी
है,
मुआवजे
को
तय
करने
में
ये
भी
महत्वपूर्ण
होता
है।
जैसे
मान
लीजिए
कि
किसी
हादसे
में
किसी
शख्स
के
पैर
की
कोई
उंगली
कट
गई
हो
तो
उसे
उस
व्यक्ति
की
तुलना
में
कम
मुआवजा
मिलेगा
जिसका
पूरा
हाथ
ही
कट
गया
हो।
इसकी
वजह
ये
है
कि
हाथ
कट
जाने
से
व्यक्ति
के
काम
करने
क्षमता
घट
जाएगी
और
इसी
तरह
उसके
कमाने
की
क्षमता
भी
घट
जाती
है।
मुआवजे
को
निर्धारित
करने
वाले
कारकों
में
नुकसान
के
अलावा
पीड़ित
व्यक्ति
की
आयु,
उसकी
आय,
जख्मी
या
मरने
वाले
व्यक्ति
के
ऊपर
निर्भर
लोगों
की
संख्या,
पीड़ित
के
इलाज
पर
आने
वाला
खर्च
आदि।

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