बैंक की नौकरी छोड़कर शुरू की सब्जी की खेती, सलाना हो रही इतनी कमाई

नीरज कुमार/बेगूसराय: आधुनिकता के इस दौर में कृषि के क्षेत्र में हो रहे प्रयोग किसानों की समृद्धि का द्वार खोलने का काम कर रहा है. बेगूसराय के कई किसान परंपरागत खेती से नाता तोड़कर नकदी फसल की ओर रुख कर चुके हैं. ऐसे ही प्रगतिशील किसानों की श्रेणी में सच्चिदानंद चौधरी शामिल हो चुके हैं.

सच्चिदानंद चौधरी को जब धान, गेहूं की खेती में अच्छी कमाई नहीं दिखी, तो वे सब्जी की खेती में लग गए. सच्चिदानंद चौधरी ने बताया कि एक दौर ऐसा भी था जब खेती का पैसा खेती में हीं लग जाया करता था, लेकिन आज खेती का पैसा बैंक के खातों में दिख रहा है. सच्चिदानंद चौधरी डेढ़ बीघा में सब्जी की खेती कर सालाना 2 लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं.

बैंकिंग का काम छोड़ शुरू कर दी सब्जी की खेती

बेगूसराय जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर बछवारा प्रखंड के बछवारा गांव के रहने वाले 47 वर्षीय किसान सच्चिदानंद चौधरी बताते हैं कि निजी क्षेत्र के बैंक में खाता खोलने और रेकरिंग जमा करने का काम करते थे. वहीं खेती करने वाले किसानों के पैसे को भी बैंक में जमा कर देते थे. कई ऐसे किसान मिले जो खेती से कमाई कर अच्छी-खासी रकम बैंक में जाम करते थे.

एक दिन रहा नहीं गया तो किसान से खेती में हो रही कमाई का तरीका पूछ लिया. इसके बाद किसानों से गुर सीखकर बैंकिंग का कार्य छोड़कर सब्जी की खेती शुरू कर दी. डेढ़ बीघा जमीन पर लगभग 10 साल से सब्जी की खेती कर रहे हैं और बेहतर उत्पादन कर बाजार में सप्लाई कर रहे हैं. इससे मुनाफा भी कमा रहे हैं.

2 लाख से अधिक की सालाना होती है आमदनी

प्रगतिशील किसान सच्चिदानंद चौधरी ने बताया कि 60 से 65 हज़ार सालाना खर्च कर एक बीघा में डंडारी प्रजाति का परवल और बंगाली प्रजाति का 10 कट्ठे में बैंगन लगाकर सालों भर सब्जी का उत्पादन करते हैं. कमाई मुख्य रूप से बाजार मूल्य पर निर्भर करता है. लेकिन आमतौर पर 2 लाख से अधिक की कमाई कर लेते हैं. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि खेती घाटे का सौदा नहीं बल्किअच्छी आमदनी का जरिया है.

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