रिपोर्ट- हेमंत अहिरवार
बीना. बीना-कटनी के बीच धूमधाम से मेमू ट्रेन की शुरुआत की गई थी. यात्री खुश थे कि इतनी चमचमाती सफेद ट्रेन में यात्रा करने का मौका मिल रहा है. लेकिन कुछ माह तक तो ठीक ठाक रहा, लेकिन इसके बाद इस सफेद ट्रेन का रंग बदलकर लाल होने लगा. ऐसा क्या हुआ, जानिए इस रिपोर्ट में…
छोटे-छोटे स्टेशनों के लिए रेलवे ने पैसेंजर ट्रेनों की जगह नई चमचमाती मेमू ट्रेनें चलाना तो शुरू कर दिया, लेकिन इन ट्रेनों की साफ सफाई के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई है. ग्रामीण यात्री भी इतने जागरूक नहीं है, ऐसे वह भी कागज, पॉलिथीन और अन्य गंदगी कोच में ही छोड़ देते हैं. कई दिनों तक सफाई नहीं होने से मेमू के कोच कचराघर जैसे नजर आने लगे हैं. इतना ही नहीं पान और गुटखे के शौकीन यात्री खिड़की से पान-गुटखे की पीक बाहर थूंकते हैं.
नतीजा चमचमाती सफेद मेमू ट्रेन अब लाल नजर आने लगी है. पानी की खाली बोतलें यहां-वहां पड़ी नजर आती हैं, तो इनके कारण टॉयलेट भी चोक पड़े हैं.
ट्रेन में हाथ लगाने से लगता है डर
बीना-कटनी मेमू से कटनी जा रहे राकेश सेन का कहना था कि गेट के दोनों तरफ यह स्थिति है कि बिना हाथ लगाए ही ट्रेन में चढ़ना उतरना पड़ रहा है ट्रेन में चढ़ रहे वही 56 वर्षीय नीलेश पटेल का कहना था कि हमें मजबूरी में इन कोच में सफर करना पड़ रहा है.सीट पर बैठा भी नही जा रहा है कोच के अंदर कचरागाड़ी जैसा नजारा रहता है.
रेलवे की अपनी परेशानी
यह मेमू ट्रेन 15 दिन बीना यार्ड में खड़ी रहती है. रेलवे सूत्रों के अनुसार मेमू ट्रेन की सफाई, धुलाई का जिम्मा मेमू शेड विभाग के भरोसे था लेकिन वहां पर सफाईकर्मियों की कमी से सप्ताह में एक बार ही धुलाई, सफाई हो पाती थी.इसके बाद मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों ने धुलाई और सफाई की जिम्मेदारी मेंटेनेंस संभालने वाले सी एंड डब्ल्यू (कैरिएज वैगन) विभाग के सुपुर्द कर दी, लेकिन सी एंड डब्ल्यू के पास भी सफाई कर्मचारियों की उपलब्धता नहीं होने के कारण इस ट्रेन की सफाई नहीं हो पा रही है. अब सफाई कार्य के लिए टेंडर निकालने पर विचार चल रहा है.
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Tags: Indian railway, Sagar news
FIRST PUBLISHED : December 06, 2022, 13:03 IST