बिहार में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी! जहां छुट्टी लेने के लिए देना होता पत्र

कुंदन कुमार/गया : अब तक आपने सरकारी स्कूल में बच्चों के न जाने की बात सुनी होगी या फिर जाते हैं तो वापस वैसे ही आ जाते हैं, वहां पर कोई जवाबदेही तय नहीं है. लेकिन आज हम आपको बिहार के एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर बच्चे छुट्टी लेने के लिए प्रार्थनापत्र लिखते हैं. इसका रजिस्टर भी मेंटेन किया जाता है. आवेदन लेने के पीछे विद्यालय के शिक्षकों का मानना है कि इससे सभी बच्चों में आवेदन लिखने का ज्ञान बचपन से ही हो जाएगा और सभी बच्चों में अनुशासन बना रहेगा.

लंबी छुट्टी के आवेदन में अभिभावक का सिग्नेचर जरूरी

आमतौर पर सरकारी विद्यालय के बच्चों को कम प्रतिभावान समझा जाता है. लेकिन गया के इस सरकारी विद्यालय के बच्चे प्राइवेट स्कूल के बच्चों को हर विदा में टक्कर दे रहे हैं. यहां कई बच्चे ऐसे भी हैं जो अंग्रेजी में आवेदन लिखकर छुट्टी लेते हैं.

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इसके अलावा यहां कोई बच्चा लंबे दिनों के लिए छुट्टी लेना चाहता है तो आवेदन में उसके अभिभावक का सिग्नेचर होना आवश्यक है. बिना अभिभावक के हस्ताक्षर के स्कूल के शिक्षक उन्हें छुट्टी नहीं देते. क्लास के दौरान किसी काम से कोई बच्चा घर जाता है तो उसके लिए भी आवेदन देना पड़ता है और जाने का समय तथा आने का समय रजिस्टर में नोट किया जाता है.

अंग्रेजी में बच्चे देते हैं सेल्फ इंट्रोडक्शन

बता दें कि गया के इस मध्य विद्यालय में 254 बच्चे नामांकित हैं और यहां क्लास वन से बच्चों को इस तरह का ज्ञान शिक्षकों के द्वारा दी जा रही है. बच्चों को पढ़ाई के अलावा संस्कार का ज्ञान भी दिया जाता है और सभी बच्चे स्कूल आते ही अपने से बड़े शिक्षक या अन्य लोगों का पैर जरूर छूते हैं. प्रार्थना होने के बाद सभी बच्चों से अंग्रेजी में सेल्फ इंट्रोडक्शन करवाया जाता है.

कक्षा एक से अंग्रेजी की दी जाती है शिक्षा

इस संबंध में विद्यालय के शिक्षक राकेश कुमार चौधरी बताते हैं कि लोग सरकारी विद्यालय के प्रति नकारात्मक भाव रखते हैं और कहा जाता है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती. लेकिन यह बात बिल्कुल गलत है. हमारे स्कूल के बच्चे सभी विदा में प्राइवेट स्कूल के बच्चों से काफी आगे हैं.

हमारे बच्चे अंग्रेजी में आवेदन लिखते है और उन्हें कक्षा एक से ही अंग्रेजी सिखाया जाता है. उन्होंने बताया कि बच्चों से आवेदन लेने के पीछे यह वजह है कि इससे बच्चों में आदत बन जाएगी और सभी बच्चे आवेदन लिखने के लिए सीख जाएंगे और बच्चों में अनुशासन बना रहेगा. इससे बच्चों में यह ज्ञान आएगी कि अगर उन्हें कहीं भी छुट्टी लेनी होगी तो आवेदन जरूर लिख कर दें.

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