बिना व्यवस्था वाली बिल्डिंग में बच्चों को शिफ्ट किए जाने से नाराज हैं परिजन

सौरभ तिवारी बिलासपुर/दुर्ग. छत्तीसगढ़ में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट सरकारी स्कूल में एडमिशन प्राप्त करने में वर्तमान में हलचल रही है. इस बीच, भिलाई के फरीदनगर में स्थित स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट सरकारी स्कूल में एक विचित्र घटना सामने आई है. जानकारी के अनुसार, हिंदी मीडियम के 108 छात्रों को प्रवेश दिया गया था, और पढ़ाई के सिर्फ एक और आधे महीने बिताने के बाद, उनके स्कूल के भवन को स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया गया है. इस फैसले ने माता-पिता काफी क्रोध में हैं. जिन्होंने विद्यालय प्रशासन के सामने अपनी मांगों के साथ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया.

कुछ माता-पिता ने अपने बच्चों को विभिन्न निजी स्कूलों में से इस स्कूल में दाखिल कराया था, ताकि उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलें, वे पुनः बिना आवश्यकता के स्थानांतरित किए जाने से खुश रहें. उनका कहना है कि यदि उन्हें इस स्कूल के भवन में पढ़ाई करानी ही नहीं थी, तो फिर एडमिशन क्यों दिया गया और वे क्यों एक से डेढ़ महीने की पढ़ाई की? स्कूल के प्रिंसिपल ने जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश के साथ माता-पिता को समझाने का प्रयास किया, लेकिन माता-पिता ने उनकी बातों को स्वीकारने से मना कर दिया. स्कूल प्रबंधन का कहना है कि जब तक इस मुद्दे पर निर्णय नहीं होता, बच्चे स्कूल में पढ़ाई जारी रखेंगे.

प्रिंसिपल के समझाने पर भी नहीं माने परिजन
स्वामी आत्मानंद स्कूल के प्रिंसिपल ने प्रदर्शन कर रहे परिजनों को जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग का ऑर्डर दिखाया. उन्होंने पेरेंट्स को समझाने का प्रयास किया पर पेरेंट्स समझने को तैयार नहीं थे. स्कूल प्रबंधन का कहना है कि जब तक इसका फैसला नहीं हो जाता बच्चे नए स्कूल भवन में ही पढ़ाई करेंगे.

स्कूल प्रबंधन की लापरवाही
इस पूरे मामले में स्कूल प्रबंधन की लापरवाही सामने आ रही है. सबसे पहले स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के प्रिंसिपल ने 31 जुलाई 2023 को जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग को पत्र लिखकर यह बताया कि स्कूल में दर्ज छात्रों की संख्या अधिक हो गई है. इसलिए हिंदी और अंग्रेजी माध्यम को अलग-अलग करते हुए हिंदी मीडियम स्कूल की कक्षाएं पुराने भवन में लगाने का निर्णय लिया गया है. इस पत्र का जवाब जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग ने 8 अगस्त 2023 को दिया. उन्होंने लिखा कि पुराना भवन मानक के अनुरूप हो तभी वहां क्लास संचालित की जाएं. लेकिन स्कूल के प्रिंसिपल ने डीईओ के आदेश को गलत तरीके से पेश किया और हिंदी मीडियम स्कूल के बच्चों को जर्जर भवन में पढ़ने को भेजने वाले थे.

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