पिछले सप्ताह, उसना चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया था। इन प्रतिबंधों के साथ भारत ने अब गैर-बासमती चावल की सभी किस्मों पर प्रतिबंध लगा दिया है। कीमत के हिसाब से वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का बासमती चावल का कुल निर्यात 4.8 अरब डॉलर का हुआ था, जबकि मात्रा के हिसाब से यह 45.6 लाख टन था।
एलटी फूड्स लिमिटेड ने सोमवार को कहा कि बासमती चावल पर 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन की न्यूनतम निर्यात मूल्य सीमा लगाने के सरकार के फैसले से कंपनी के बासमती निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
कंपनी ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में दावा किया कि इस मूल्य सीमा का एलटी फूड्स लिमिटेड के निर्यात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि कंपनी ज्यादातर अपने विश्वसनीय ब्रांड यानी ‘दावत’ और ‘रॉयल’ में प्रीमियम और पुराने चावल का निर्यात करती है, जिनमें से अधिकतर का निर्यात मूल्य, उक्त न्यूनतम निर्यात मूल्य सीमा से कहीं अधिक है।’’
सरकार ने प्रीमियम बासमती चावल की आड़ में सफेद गैर-बासमती चावल की संभावित ‘‘अवैध’’ निर्यात खेपों को प्रतिबंधित करने के लिए 1,200 डॉलर प्रति टन से नीचे के भाव के बासमती चावल के निर्यात की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है।
रविवार को एक बयान में, वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि उसने व्यापार संवर्धन निकाय- एपीडा को 1,200 डॉलर प्रति टन से नीचे के अनुबंधों को पंजीकृत नहीं करने का निर्देश दिया है। 1,200 डॉलर प्रति टन से नीचे के मौजूदा अनुबंधों को स्थगित रखा गया है। भविष्य की कार्रवाई का मूल्यांकन करने के लिए एपीडा के अध्यक्ष के तहत एक समिति गठित की जाएगी।
बासमती चावल निर्यातक जीआरएम ओवरसीज के प्रबंध निदेशक अतुल गर्ग ने कहा, ‘‘पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान बासमती चावल निर्यात की औसत कीमत 900 डॉलर और 1,000 डॉलर प्रति टन के बीच है।’’
गर्ग ने कहा, ‘‘हम सरकार से पूरे उद्योग के लिए बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1,200 डॉलर प्रति टन से कम करने पर विचार करने का आग्रह करते हैं।’’
पिछले साल सितंबर में सरकार ने टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जबकि पिछले महीने गैर-बासमती सफेद चावल पर प्रतिबंध लगाया था। पिछले सप्ताह, उसना चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया था।
इन प्रतिबंधों के साथ भारत ने अब गैर-बासमती चावल की सभी किस्मों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
कीमत के हिसाब से वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का बासमती चावल का कुल निर्यात 4.8 अरब डॉलर का हुआ था, जबकि मात्रा के हिसाब से यह 45.6 लाख टन था।
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