बड़ा तेज है नैनीताल जिले के इस गांव का तेजपत्ता, औषधीय गुणों से भरपूर और देश-विदेश तक मशहूर

रिपोर्ट : पवन सिंह कुंवर

हल्द्वानी. तेजपत्ता हर भारतीय रसोई में आपको आसानी से मिल जाएगा. यह ऐसा मसाला है, जिसका इस्तेमाल व्यंजनों में जायका और खुशबू बढ़ाने के लिए किया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका इस्तेमाल कर कई शारीरिक बीमारियों से बचा सकता है. आयुर्वेद में इस औषधीय पत्ते के प्रयोग के कई लाभ बताए गए हैं. खांसी, बुखार, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों में तेजपत्ते का सेवन काफी फायदेमंद होता है. उत्तराखंड के नैनीताल जिले में आनेवाला चोपड़ा गांव तेजपत्ते के लिए काफी मशहूर है.

चोपड़ा गांव का तेजपत्ता देश-विदेश तक अपनी पहचान रखता है और बड़ी-बड़ी कंपनियां यहां के तेजपत्ते को अपने उत्पादों में इस्तेमाल करती हैं, जिससे कंपनियां टूथपेस्ट, आयुर्वेद दवाइयां, मसाले आदि बनाया करती हैं. यहां से काफी मात्रा में तेजपत्ता दूसरे राज्यों और वहां से विदेशों तक सप्लाई किया जाता है. चोपड़ा गांव का तेजपत्ता खाड़ी देशों में भी भेजा जाता है.

चोपड़ा गांव में तेजपत्ते की खेती कुंतलों के हिसाब से होती है. इस गांव में 60 साल से तेजपत्ते की खेती की जाती है. कई औषधीय गुणों से युक्त तेजपत्ता पाचन को बेहतर करने और गैस की समस्या से निजात दिलाने के अलावा चाय के स्वाद को भी बढ़ाता है. तेजपत्ते का इस्तेमाल ज्यादातर भारतीय पकवानों में किया जाता है. मसाले के तौर पर इस्तेमाल होने वाली इन पत्त‍ियों में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. तेजपत्ते का इस्तेमाल डायबिटीज में भी बेहद फायदेमंद होता है. यह ब्लड शुगर के लेवल को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है.

चोपड़ा गांव में तेजपत्ता की खेती करने वाले किसान विपिन चंद्र जोशी ने बताया कि सबसे पहले हम इसका पौधा तैयार करते हैं. उसके बाद इस पौधे को रोपित कर जमीन में लगा दिया करते हैं और जब वो पौधा बड़ा हो जाता है, तो इसकी हरी पत्तियां हम तोड़कर सुखाया करते हैं. जिसके बाद हम उस पत्ते की ग्रेडिंग कर उनको इकट्ठा करते हैं और उसके बाद पत्तों की ढेरों को बोरी में भर आगे सप्लाई किया जाता है. तेज पत्ते की कीमत करीब 50 से 55 रुपये किलो तक है. हमारे गांव में 60 सालों से तेज पत्ते की खेती होती है. गांव के कई परिवार इसकी खेती पर ही आश्रित हैं.

Tags: Haldwani news, SPICES, Uttarakhand news

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