रामकुमार नायक/ महासमुंद – रक्षाबंधन के त्योहार पर भद्रा लगभग हर साल भाई-बहन के रिश्ते में बाधा बनती हैं. भद्रा की वजह से भाई-बहन के रिश्ते की खुशियां मनाने वाले इस त्योहार की अवधि कम हो जाती है. धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष के अनुसार, भद्रा एक अशुभ मुहूर्त है जिसके होने पर कोई भी शुभ कार्य करने के अशुभ परिणाम सामने आते हैं. इसलिए भद्रा होने पर राखी बांधना अशुभ माना जाता है. भद्रा के खत्म होने के पश्चात ही राखी बांधनी चाहिए.
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र और पंचांग में वर्णन है की हर दूसरे दिन में भद्रा की स्थिति बनती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा का जन्म दानवों के नाश करने हुआ था. भद्रा सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया के गर्भ से जन्म हुआ है. भद्रा शनिदेव की बहन की नाम से भी जानी जाती है. एक बार की बात है जैसे ही भद्रा का जन्म हुआ तब भगवान सूर्यदेव ने उनकी शारिरिक बनावट को देखकर परेशान होने लगे की इसका विवाह कैसे होगा.
भद्रा विकृत रूप से पैदा हुई थी. भद्रा के हाथ पैर दूसरे जीवों जैसे नहीं थे. सूर्यदेव को ज्यादा चिंता होने लगी तब वे ब्रम्हा जी के पास गए. तब ब्रम्हा जी ने भद्रा को आशीर्वाद दे दिया की जहां मांगलिक और शुभ कार्य होते हैं वहां तुम्हारा निवास स्थान होगा. इसलिए जब भी शुभकार्य होते हैं उससे पहले पंचाग देखा जाता है कि भद्रा तो नहीं है. खासकर रक्षाबंधन और होलिका दहन में भद्रा को विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है. क्योंकि शास्त्रों में ऐसा प्रमाण है कि रावण की बहन सूर्पनखा ने भद्राकाल में अपने भाई रावण को राखी बांधी थी. इसलिए उनका पूरा समूल परिवार सहित नष्ट हो गया था उनका सब कुछ तबाह हो गया था. इसलिए रक्षाबंधन और होलिका दहन में विशेष ध्यान दिया जाता है. भद्राकाल की स्थिति में न रक्षाबंधन किया जाता है न होलिका दहन किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : August 30, 2023, 10:31 IST