बकरी पालन ने इस किसान की बदली किस्मत,सलाना हो रही इतनी कमाई

भास्कर ठाकुर/सीतामढ़ी: खेती के साथ -साथ किसानी  बकरी और मुर्गी पालन एक बेहतर विकल्प बनता जा रहा हैं. इससे किसान को  बेहतर मुनाफा होता हैं. खास बात यह है कि इसमें लागत भी अधिक नहीं है और मेहनत  भी कम करने पड़ती है. बकरी और मुर्गी पालन के लिए सरकार भी अपने स्तर पर मदद करती है.इसके लिए  किसानों को सरकार की तरफ से  अनुदान भी मिलता है. सीतामढ़ी जिला के डुमरा प्रखंड अंतर्गत भूपभैरव गांव के किसान राम सकल सिंह भी पहले गन्ना की खेती करते थे. जब रीगा मिल बंद हो गया.  उसके बाद  गन्ना का उचित मूल्य नहीं मिलता था. इसलिए गन्ना की खेती को छोड़ कर बकरी और मुर्गी फॉर्म चलाना शुरू कर दिया. फसल के मुकाबले  इसमें आमदनी भी ज्यादा  है. इसके देखभाल के लिए  एक आदमी भी रखा  है. अभी फॉर्म में दो नस्ल का 70 बकरी है.

किसान राम सकल सिंह ने कहा  कि अभी दो प्रजाति के बकरी को पाल हैं. जिसमें ब्लैक बंगाल और बरबरी है. जिसमें बंगरल नस्ल की ब्लैक बंगाल एवं बरबरी हरियाणा नस्ल की बकरी हे. दोनों नस्ल को मिलाकर अभी 70 बकरियां पाल रहे हैं. ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियों अमूमन बिहार, बंगाल, उड़ीसा और झारखंड में पाई जाती है. उन्होंने आगे कहा कि बरबरी नस्ल की बकरी ब्लैक बंगाल की अपेक्षाा दूध ज्यादा देती है. परंतु बच्चे देने के मामले में ब्लैक बंगाल उससे अधिक है. उन्होंने बताया कि अब बकरी की दूध का डेयरी खोलने वाले हैं . इसके अलावा पंजाब से बीटल नस्ल की बकरी को लाने वाले हैं ,जो 2 से 4 लीटर दूध देती है. उन्होंने यहा भी कहा कि बकरी दो तरह के होते हैं. एक तो चराई वाली बकरी और दूसरा स्टॉलफीड है. स्टॉलफीड बकरी हीं पाले हुए हैं. जिसको बांध कर खिलाते हैं. वहीं बकरी को खाने में भूसा, चोकर, दाना, चुन्नी आदि देते हैं.

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FIRST PUBLISHED : September 05, 2023, 23:10 IST

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