कमल पिमोली/श्रीनगर गढ़वाल. ना कोई लग्जरी रेस्टोरेंट, न ही कोई आकर्षक डेकोरेशन, लेकिन स्वाद ऐसा कि हर कोई बोलता है “घंटी वाले भैया पहले मेरी बारी”. श्रीनगर गढ़वाल की सब्जी मंडी वाली गली में अपनी चाट की दुकान लगाने वाले घंटी वाले भैया के चाट की दीवानगी इतनी है कि यहां युवाओं का तांता लगा रहता है, यहां युवाओं से लेकर बड़े बुर्जुग और छोटे बच्चे भी गोलगप्पे, टिक्की को काफी पसंद करते हैं, आलम यह है कि यहां चाट की ठेली लगने के तुरंत बाद से ही ग्राहकों का जुटना शुरू हो जाता है. यहां युवाओं में फास्ट फूड की इतनी दीवानगी है कि बड़ी संख्या में साम के समय यहां पहुंचे रहते हैं.
श्रीनगर गढ़वाल एजुकेशनल हब होने के चलते यहां सबसे अधिक संख्या युवाओं की है, श्रीनगर गढ़वाल में मेडिकल कॉलेज, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, पॉलिटेक्निक, एनआईटी, आईटीआई समेत दर्जनभर से अधिक स्कूल मौजूद हैं, यहां की आधी से ज्यादा आबादी युवाओं की है ऐसे में युवाओं/छात्रों के कम बजट में साम के समय अच्छा खाने का शौक घंटी वाले भैया पूरा करते हैं.
11 सालों से लगा रहे चाट की कार्ट
शशि कुमार बताते हैं कि वो बीते 11 सालों से श्रीनगर गढ़वाल में चाट की ठेली लगा रहे हैं, पहले दाम बहुत कम था. लेकिन, अब महंगाई के चलते थोड़ा बहुत इजाफा उन्होंने भी अपने आइटम में किया है. बताया कि वो गोलगप्पे, दही भल्ले, चाट, बंद टिक्की बेचते हैं. शशि कुमार मानते हैं कि भले ही उनकी कमाई थोड़ी कम हो, लेकिन गुणवत्ता में किसी तरह की कोई कमी नहीं होनी चाहिए. घंटी वाले भैया का गोल-गप्पे खिलाने का अंदाज ग्राहकों को काफी पसंद आता है. हाथ की कलाई को घुमाते हुए गोलगप्पे में स्टफिंग करने के साथ पुदीने और अन्य मसालों से बने पानी में गोलगप्पे की डुबकी यहां आने वाले गोलगप्पे के शौकीनों को काफी पसंद है. इसके अलावा दही भल्ले और बंद टिक्की की दीवानगी का अंदाजा तो इस बात से लगाया जा सकता है कि सबसे पहले यही खत्म होता है.
हरिद्वार से हैं इसलिए लगाते हैं “घंटी”
शशि कुमार बताते है कि वो हरी की भूमि हरिद्वार के रहने वाले हैं, इसलिए घंटी अपनी कार्ट पर बांधे हुए हैं. कहते हैं कि पहले वो घंटी बजाकर भी संकेत दिया करते थे कि अब ठेली में सामान लग चुका है. लेकिन धीरे-धीरे लोकप्रियता इतनी बढ़ी गई कि जब शाम को वो अपनी ठेली लेकर यहां आते हैं तो एक दो ग्राहक पहले से ही इंतजार करते हुए दिखते हैं. आगे बताते हैं कि उनके ठेले पर घंटी लगी देखकर उनके ग्राहक प्यार से उन्हें “घंटी वाले भैया” नाम से भी संबोधित करते हैं.
दुकान खुलने का समय
शशी कुमार साम साढ़े 5 बजे ठेली लेकर सब्जी मंडी वाली गली में पहुंचते हैं, यहां 6 बजे तक सारा-सामान लगाने के बाद पूजा करते हैं और फिर काम पर लग जाते हैं. बताते हैं कि वो रात साढ़े 8 बजे से 9 बजे तक यहां रहते हैं. इतने में उनका सारा माला खत्म हो जाता है. वो घर में ही हाइजीनिक तरीके से पूरा स्टॉक तैयार करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 01, 2023, 13:30 IST