मो.महमूद आलम/नालंदा: नालंदा आखिर पूरे दुनिया में क्यों मशहूर है ये बताने या समझाने की जरूरत नहीं है. यहां कई ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं लजीज व्यंजनों की सोंधी मिठास शामिल है. यही के जिले गिरियक प्रखंड में एक बाजार है, जहां आनंद मिष्ठान भंडार की दुकान लगती है, उनकी ये दुकान तीन पुश्तों से लगाई जा रही है. यहां की रस माधुरी, रस कदम और कलाकंद मिठास और खुशबू बिहार के अलावा देश में कई और जगह भी भेजी जाती है. दुकानदार आनंद और अनिल कुमार ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि तीन पुश्तों से इस मिठाई को उनके पूर्वजों द्वारा बनाना शुरू किया था. पहले हमारे पूर्वज मिठाई सड़क किनारे स्टॉल लगाकर बेचते थे.
पहले वह खुद ही मिठाई बनाया करते थे. पहले जब संसाधन का अभाव था तो ज्यादा दूर तक यह मिठाई नहीं पहुंच पाती थी. लेकिन जैसे ही व्यवस्था सुलभ होते गई. मिठाई दूसरे प्रदेशों में भेजा जाने लगा. धीरे-धीरे दूसरे प्रदेशों तक इसकी डिमांड पहुंच चुकी है. इस तीनों मिठाई की कीमत ₹400 किलो है. यह मिठाई प्योर शुद्ध दूध की बनती है, जिसमें मिट्टी के चूल्हे पर पहले बढ़िया से गर्म किया जाता है, फिर उसमें छेना का रस सुखाकर उस गर्म दूध में डालने के बाद थोड़ा से चीनी और ड्राई फ्रूट्स पीस कर डाला जाता है. उसके साथ खोवा भी मिलाते हैं.
एक सप्ताह तक नहीं होती है खराब
गिरियक में सिर्फ दो ही दुकान हैं. वो भी दोनों भाइयों की ही है. यहां रोज 1000 पीस रसमलाई बिकती है, जिसकी कीमत ₹20 प्रति पीस है. इसके अलावा रस माधुरी ₹40 पीस बिकती है. रोजाना इसके 500 पीस बिकते हैं. वहीं रस कदम 25 से 30 किलो की बिक्री होती है. इस मिठाई को एक सप्ताह तक सुरक्षित रखा जाता है. इस मिठाई को राजकीय पहचान मिल चुकी है. राज्य स्तरीय कई कार्यक्रमों में मेहमानों के लिए इस खासतौर पर परोसा जाता है. इसके साथ ही पहचान बनने असल वजह पर्यटकों की सबसे पहली पसंद हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 03, 2023, 14:15 IST