रिपोर्ट- हिना आज़मी
देहरादून. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के रहने वाले दिग्विजय सिंह ने साबित कर दिखाया कि हौसलों से ही उड़ान होती है. दिग्विजय दिव्यांग हैं. वह बचपन में पोलियो का शिकार हो गए थे, जिस वजह से उनके पैर काम नहीं करते हैं. वह खुद दोनों पैरों से विकलांग हैं, लेकिन अक्सर लोगों में जीने की उमंग भरते रहते हैं. लोगों को जागरूक कर संदेश देते हैं कि जिंदगी को हंसकर जिया जाए. दिग्विजय इंटरनेशनल बाइक राइड करने वाले उत्तराखंड के पहले राइडर हैं. उन्होंने हाल ही में भारत से नेपाल तक 1142 किमी का सफर बाइक से तय किया. इससे पहले वह सामान्य व्यक्तियों से भी कई कार रेसिंग मुकाबले कर चुके हैं, जिनमें वह कई गोल्ड मेडल और सिल्वर मेडल भी जीत चुके हैं.
दिग्विजय सिंह ने ‘न्यूज़ 18 लोकल’ से बातचीत करते हुए बताया कि वह दो साल की उम्र में ही पोलियो का शिकार हो गए थे, जिसके चलते उनके दोनों पैर और पूरा शरीर काम नहीं कर पाता था. हालांकि उनके पिता ने काफी ट्रीटमेंट कराया, तो बाद में शरीर का ऊपरी हिस्सा काम करने लगा.
आपके शहर से (देहरादून)
दिग्विजय ने कहा कि उनके पिता ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है. बचपन से ही दिग्विजय सिंह को एडवेंचर का बहुत शौक है. उनके घर में खेतीबाड़ी होती थी, तो एक बार उनके पिता ने उनके मन की इच्छा को देखते हुए दिग्विजय से पूछा कि क्या आप ट्रैक्टर चलाना चाहते हो, दिग्विजय सिंह ने मुस्कुराते हुए हामी भरी. पास में मौजूद एक आदमी ने उन्हें मना किया कि दिव्यांग होने के चलते दिग्विजय को चोट लग सकती है ,लेकिन उनके पिता ने उनका हौसला बढ़ाया.
ट्रैक्टर ने बदला जीवन का तरीका
दिग्विजय सिंह का गांव में यूं ट्रैक्टर चलाने के साथ ही उनके अंदर आत्मविश्वास पैदा हो गया. धीरे-धीरे दिग्विजय सिंह कार रेसिंग में भी हिस्सा लेने लगे और अव्वल भी आने लगे.
ऐसा है दिग्विजय सिंह का सफर
दूसरों के लिए प्रेरणा बने दिग्विजय सिंह ने एथलीट में 27 मेडल हासिल किए हैं, जिनमें 9 गोल्ड मेडल हैं. वहीं उन्होंने दो एशियन और 8 राष्ट्रीय कार रेसिंग मुकाबलों में भी हिस्सा लिया, जिसमें चार गोल्ड मेडल और दो सिल्वर मेडल जीते है. उत्तराखंड का मान बढ़ाने वाले दिग्विजय सिंह देश के पहले दिव्यांग कार रेसर हैं, जिन्होंने दो वर्ल्ड रिकॉर्ड और दो भारतीय रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं. इसके साथ अब तक 10 बाइक राइड कम्प्टीशन में हिस्सा लिया है, जिनमें कई ट्रॉफी हासिल की हैं. हाल ही में उन्होंने भारत के इंडिया गेट से नेपाल के काठमांडू और पशुपतिनाथ तक 10 दिन की बाइक रैली में उत्तराखंड का नेतृत्व किया.
दिग्विजय सिंह का कहना है कि जिंदगी संघर्ष से भरी है, लेकिन उसे हंसकर जीना चाहिए. उनका कहना है कि दिव्यांगजनों की शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें समाज के साथ मिलाकर चलना चाहिए.
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Tags: Dehradun news, Uttarakhand news
FIRST PUBLISHED : December 05, 2022, 10:37 IST