अदालत ने आरोपी की अंतरिम जमानत 19 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी थी और स्पष्ट किया था कि यह राहत पूरी तरह से मानवीय आधार पर दी गई है, इसलिए अपनी बेटियों की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर आरोपी की ओर से अंतरिम जमानत अब और बढ़ाने की मांग न की जाए। निचली अदालत द्वारा 24 अगस्त को चिकित्सा आधार पर बाबू को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने से इनकार किए जाने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
उच्चतम न्यायालय ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में मुकदमे का सामना कर रहे शराब कंपनी ‘पेरनोड रिकार्ड’ के कार्यकारी अधिकारी बिनॉय बाबू को 25 सितंबर तक आत्मसमर्पण करने को कहा।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा बाबू को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि को एक सप्ताह के लिए 19 सितंबर तक बढ़ा दिया।
पीठ ने कहा कि वह 30 अक्टूबर से शुरू होने वाले सप्ताह में उनकी नियमित जमानत याचिका पर विचार करेगी। इसने उन्हें राहत देने से इनकार करने संबंधी उच्च न्यायालय के तीन जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा।
बाबू की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि उनकी (बाबू) पत्नी की सर्जरी 22 सितंबर को होने वाली है और इसलिए उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए।
साल्वे ने कहा कि बाबू को गुण-दोष के आधार नियमित जमानत मंजूरी का बेहतर आधार है और उन्होंने अदालत से उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए जल्द तिथि निर्धारित करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, ‘‘दस महीने वह जेल में रहे हैं और अब वह चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत पर बाहर हैं। क्योंकि अदालत अक्टूबर के अंत में मामले की सुनवाई तय करने पर विचार कर रही है, इसलिए उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।
दस दिन में आसमान नहीं टूट पड़ेगा।’’
पीठ ने कहा कि वह 25 सितंबर से आगे अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की इच्छुक नहीं है और बाबू को उस तारीख को या इससे पहले आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।
इसने कहा, ‘‘जहां तक नियमित जमानत का सवाल है, हम ईडी को नोटिस जारी कर रहे हैं जिस पर चार सप्ताह में जवाब दिया जाना चाहिए। हम 30 अक्टूबर से शुरू होने वाले सप्ताह में मामले की सुनवाई करेंगे।’’
दिल्ली उच्च न्यायालय ने छह सितंबर को मानवीय आधार पर बाबू की अंतरिम जमानत बढ़ा दी थी।
बाबू के वकील ने उच्च न्यायालय से कहा था कि उनके मुवक्किल की बेटियां पिछले कुछ महीनों से अवसादग्रस्त हैं। उन्होंने उच्च न्यायालय से उनके मुवक्किल की अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था ताकि वह अपनी बेटियों की देखभाल कर सकें।
अदालत ने आरोपी की अंतरिम जमानत 19 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी थी और स्पष्ट किया था कि यह राहत पूरी तरह से मानवीय आधार पर दी गई है, इसलिए अपनी बेटियों की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर आरोपी की ओर से अंतरिम जमानत अब और बढ़ाने की मांग न की जाए।
निचली अदालत द्वारा 24 अगस्त को चिकित्सा आधार पर बाबू को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने से इनकार किए जाने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।