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तमिलनाडु सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए वकील अमित आनंद तिवारी ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी दिशानिर्देश ‘प्लास्टर ऑफ पेरिस’ की मूर्तियों के निर्माण पर भी रोक लगाते हैं। तिवारी ने कहा कि दिशानिर्देशों में कहा गया है कि पर्यावरण-अनुकूल सामग्री से बनी मूर्तियों को भी जलाशयों की जगह पानी के निजी टैंक में विसर्जित किया जाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने ‘प्लास्टर ऑफ पेरिस’ (पीओपी) से निर्मित गणेश मूर्तियों की बिक्री एवं निर्माण पर रोक से संबंधित मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘‘आप मिट्टी का उपयोग कर सकते हैं। क्षमा कीजिए। याचिका खारिज की जाती है।’’
इससे पहले, वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने मंगलवार से शुरू हो रहे गणेश चतुर्थी उत्सव के मद्देनजर मामले में तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया, जिसके बाद पीठ सुनवाई को सहमत हो गई।
यह अपील रविवार को एक विशेष सुनवाई के दौरान मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ दायर की गई थी।
खंडपीठ ने पीओपी से बनी गणेश मूर्तियों की बिक्री की अनुमति देने वाले एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश पर रोक लगा दी थी।
दीवान ने कहा कि जब पुलिस ने ऐसी मूर्तियों की बिक्री रोक दी तो एक कारीगर ने 16 सितंबर, शनिवार को एकल-न्यायाधीश पीठ का रुख किया।
मदुरै की एकल-न्यायाधीश पीठ ने शनिवार को याचिका पर सुनवाई की और कहा कि ऐसी मूर्तियों की बिक्री को रोका नहीं जा सकता और केवल जलाशयों में उनके विसर्जन को रोका जा सकता है।
इस आदेश पर रविवार को खंडपीठ ने रोक लगा दी थी।
तमिलनाडु सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए वकील अमित आनंद तिवारी ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी दिशानिर्देश ‘प्लास्टर ऑफ पेरिस’ की मूर्तियों के निर्माण पर भी रोक लगाते हैं।
तिवारी ने कहा कि दिशानिर्देशों में कहा गया है कि पर्यावरण-अनुकूल सामग्री से बनी मूर्तियों को भी जलाशयों की जगह पानी के निजी टैंक में विसर्जित किया जाना चाहिए।
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