अनुज गौतम/सागर. मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी नौरादेही सैंक्चुरी के वातावरण, खुशनुमा माहौल और सुरक्षित इलाके को देखते हुए एक बार फिर चीतों के बसाने की सुगबुगाहट चल पड़ी है. जिससे टाइगर रिजर्व के लिए प्रदेश सरकार से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे नौरादेही अभयारण्य के वन प्रबंधन में दोहरी खुशी की लहर है.
प्रदेश के तीन जिलों सागर, दमोह और नरसिंहपुर की सीमाओं में फैले इस अभ्यारण का पिछ्ले दिनों सर्वे करने आए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान के संयुक्त अध्ययन दल ने नौरादेही को चीतों की बसाहट के लिए उपयुक्त बताया है. इससे आने वाले दिनों में प्रस्तावित नौरादेही-रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में कूनो के बाद दूसरी बसाहट की योजना आकार ले सकती है.
वन्यजीव विशेषज्ञों के दल ने अध्ययन में पाया अनुकूल
केंद्रीय वन एवं एक्शन प्लान के तहत नौरादेही में बसाने की संभावनाओं को लेकर पर्यावरण जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने गत दिवस रहली विधायक एवं प्रदेश के लोनिवि मंत्री गोपाल भार्गव को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है.
केंद्रीय मंत्री के पत्र में नौरादेही को वन्यजीव एवं जैवविविधता के विशेषज्ञों के संयुक्त केंद्रीय दल द्वारा नौरादेही में किए गए अध्ययन की रिपोर्ट का भी उल्लेख है. जिसमें बताया गया है कि नौरादेही को चीतों को बसाने के लिए अनुकूल पाया गया है. ऐसे में भविष्य में चीता चीतों को लाया जा सकता है.
पर्यावरण मंत्री ने पत्र लिखकर दी जानकारी
मंत्री गोपाल भार्गव ने 23 जून को केंद्रीय मंत्री को चिट्ठी लिखकर टाइगर रिजर्व की स्वीकृति पर आभार जताया था. इसके प्रति उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने मंत्री भार्गव को नौरादेही अभयारण्य में चीतों को बसाने की संभावनाओं की जानकारी दी है.
इसलिए चीतों के लिए अनुकूल होगी यह सैंचुरी
नौरादेही सैंक्चुअरी प्रदेश के सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले की सीमाओं में फैली हुई है. इस इलाके में पेड़, पहाड़, मैदान, नदी, घास, गुफा, झाड़ी हैं, तो 15 टाईगर के आलावा यहां चीतल, चिंकारा, हिरण, नीलगाय, भेड़िया सहित 250 प्रकार के पशु-पक्षी पाए जाते हैं. सैंक्चुअरी के बीच में ऐसी जगह होने की वजह से जानवरों के लिए यह बेहद ही सुरक्षित, समृद्ध, वातानुकूल है.
सुरक्षा के खास इंतजाम
नौरादेही सैंक्चुअरी से जुड़े अधिकारियो का कहना हैं कि वन्यजीवों के लिहाज से यह बेहद ही अनुकूल जगह है. नौरादेही में वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए 250 से अधिक वन कर्मी तैनात हैं. शिकारियों को ट्रैप करने के लिए डॉग स्क्वायड मौजूद है. वहीं निगरानी के लिए हाथी दल भी हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 01, 2023, 22:44 IST