केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ को बताया कि केंदीय गृह मंत्रालय ने सिंगापुर की एक अदालत को एलआर जारी करने के लिए जांच एजेंसी को मुंबई स्थित विशेष सीबीआई अदालत में जाने की अनुमति दे दी है.
लेटर्स रोगेटरी (एलआर) एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें विदेश की अदालत से अनुरोध किया जाता है कि वह पारस्परिक विधि सहयोग समझौता (एमएलएटी) के तहत या संधि नहीं है तो पारस्परिकता के तहत अपने न्यायिक क्षेत्राधिकार में रह रहे किसी व्यक्ति से सबूत हासिल करे.
न्यायिक अधिकारी ने यह भी कहा कि एलआर जारी कराने का अनुरोध करने वाली याचिका तीन दिनों के अंदर मुंबई की अदालत में दायर की जाएगी.
पीठ ने मेहता से बैंकों को पत्र लिखने के लिए कहा था जहां उनके खातों की सीबीबाई द्वारा जांच की जा रही है. न्यायिक अधिकारी के बयान का संज्ञान लेते हुए पीठ ने बैंक खाते से लेनदेन का भी ब्योरा मांगा. इस मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी.
सीबीआई ने मुंबई स्थित बैंकिंग प्रतिभूति धोखाधड़ी शाखा के अपने निदेशक के जरिये गत 23 अगस्त को बंबाई उच्च न्यायालय के उस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी जिसमें मेहता को हांग-कांग की यात्रा करने और वहां तीन महीने तक ठहरने की इजाजत दी गई थी.
सीबीआई आरोप लगाती रही है कि मेहता ने पीएनबी बैंक धोखाधड़ी मामले में आर्जित की गई रकम में से काफी आधिक हिस्सा हासिल किया जिसे उसकी पत्नी के बैंक खातों में हस्तांतरित कर दिया गया.
मेहता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा कि लेन-देन का ब्योरा हासिल करने के लिए बैंकों को सूचना भिजवा दी गई है. देसाई ने कहा कि मेहता ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ सहयोग किया और नीरव मोदी से जुड़े धन शोधन मामले में उन्हें गवाह बनाया गया है, लेकिन अब उन्हें सीबीबाई द्वारा परेशान किया जा रहा है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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