विशाल कुमार/छपरा. पेड़ा तो आप लोगों ने बहुत खाया होगा, लेकिन छपरा के एकमा में आमढारी ढाला के पास मिलने वाला पेड़ा बेहतरीन स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. अगर आप पेड़ा खाने के शौकीन हैं तो यहां आकर एक पेड़ा का स्वाद जरूर चखना चाहिए. यहां का पेड़ा का एक बार चख लिया तो आप भी इसके दीवाने हो जाएंगे. यहां रोजाना 100 किलो से अधिक पेड़े की बिक्री हो जाती है. खास बात यह है कि लकड़ी की धीमी आंच पर बनने वाला यह पेड़ा अपने बेहतरीन स्वाद के लिए बिहार सहित थाइलेंड और अरब देशों में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है.
इस मिठाई के चाहने वाले लोग इसे पैक कराकर देश तो छोड़िए विदेश तक ले जाते हैं. इलाके के वैसे लोग जो काम-काज या रोजगार के लिए विदेश में रहते हैं, वो अपने साथ एकमा के आमढारी ढाला का पेड़ा जरूर ले जाते हैं. पिछले 20 वर्षो से लोगों को शुद्ध पेड़ा खिला रहे हैं.
20 वर्षो से लोगों को खिला रहे हैं शुद्ध पेड़ा
दुकानदार नितेश कुमार सिंह ने बताया कि पिछले 20 वर्षो से एकमा में आमढारी ढाला के पास पेड़ा बेचने का काम रहे हैं. यहां बनने वाले पेड़े का स्वाद इतना शानदार है कि स्थानीय लोगों के साथ-साथ विदेशों में तक में डिमांड है. एकमा में यह सबसे पुरानी दुकान है. अब तो कई दुकान खुल चुका है. इसलिए आमढारी ढाला पेड़ा के लिए प्रसिद्ध हो गया है. उन्होंने बताया कि इसको बनाने में दूध और चीनी की जरूरत होती है. गाय के शुद्ध दूध से पेड़ा तैयार करते हैं. सुबह 9 बजे लकड़ी की धीमी आंच पर दूध को उबालना शुरू करते हैं. उन्होंने बताया कि एक बार कड़ाही में 30 लीटर दूध चूल्हा पर चढ़ाते हैं. इसमें 10 से 12 किलो खोआ निकलता है. इसमें चीनी और इलायची मिला कर स्वादिष्ट पेड़ा तैयार करते हैं.
रोजाना 30 से 35 हजार का होता है कारोबार
दुकानदार नितेश कुमार सिंह ने बताया पेड़ा बनाने में कम चीनी डाला जाता है. पेड़ा इलायची डालकर स्वादिष्ट बनाते हैं. उन्होंने बताया कि एक पेड़ा 10 रुपये में और 360 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है. शादी सहित अन्य मांगलिक कार्य में लोग ऑर्डर देकर पेड़ा बनवाते हैं. इस रास्ते से जो भी गुजरते हैं, वह पेड़ा का स्वाद लेना नहीं भूलते हैं. उन्होंने बताया कि पहले दादा इस दुकान को संचालित कर रहे थे. उसके बाद पिताजी ने इस दुकान को संभाला और अब खुद संभाल रहे हैं.
रोजाना हजारों का कारोबार
रोजाना करीब 30 से 35 हजार का कारोबार होता है. यानी हर महीने करीब 10 लाख का कारोबार. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र होने की वजह से शुद्ध दूध आसानी से उपलब्ध हो जाता है. जिससे खोआ की क्वालिटी बेहतर रहतर है और लोग चाव से खाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 31, 2023, 14:12 IST