सोनिया मिश्रा/चमोली. उत्तराखंड के चमोली जिले के रानीगढ़ क्षेत्र के देवल गांव में मां देवरानी (देवराड़ी) का मंदिर स्थित है. जो पूरे रानीगढ़ क्षेत्र की आराध्य देवी हैं. मंदिर में माता देवरानी को मां सती के रूप में पूजा जाता है और भाद्रपद की अदुःख नवमी को मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें पूरे क्षेत्र वासी माता के दर्शनों के लिए आते हैं. मान्यता है कि मंदिर में मेले के दौरान जब भी मां की सवारी मंदिर से बाहर आती है. तब बारिश होती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा हर वर्ष होता भी है, जिसे शुभ संकेत माना जाता है.
आचार्य शक्ति प्रसाद देवली बताते हैं कि वैसे तो मां का नाम “देवरानी” है लेकिन स्थानीय मां को “देवराड़ी” के रूप में जानते हैं, जो एक विसंगत नाम है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री सती अपने पति शिव के अपमान को सहन न करने के बाद यज्ञ कुंड में भस्म हो गई थी. जिसके बाद शंकर माता सती के भस्म शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण्ड में भटकने लगे. इसे देखते हुए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता के शरीर को खंडित किया और संपूर्ण भारत वर्ष में माता के शरीर के अंग गिरे जहां सिद्धपीठ बने.
रानीगढ़ पट्टी में गिरा था मां के शरीर का ऊपरी भाग
मां के शरीर का ऊपरी भाग इस रानीगढ़ पट्टी में भी गिरा था. जिस कारण यहां मां सती की नवदुर्गा स्वरूप में पूजा होती है. साथ ही वह बताते हैं कि रानीगढ़ पट्टी के लोग मां को अपनी ध्याण के रूप में पूजते हैं और मेले के दिन वे मां के लिए अनाज (काखड़ी, मुगरी, अरसे और रोटने) स्थानीय व्यंजन मंदिर में लाते हैं, जिसे मां के पश्वा (अवतारी पुरुष) द्वारा सभी को प्रसाद स्वरूप दिया जाता है.
हर मनोकामना पूरी करती हैं मां देवराड़ी
स्थानीय लोग बताते हैं कि अगर मां देवराड़ी से सच्चे दिल से कोई प्रार्थना करे, तो मां सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. मेले के दिन मां देवरानी अपने मंदिर से शाम को ढोल की थाप के साथ 4 बजे बाहर निकलती हैं. मंदिर परिसर में भक्तों को प्रसाद स्वरूप आशीर्वाद देकर मां अपने मंदिर में प्रवेश करती हैं और इसी के साथ मां देवराड़ी का एक दिवसीय मेला समाप्त हो जाता है.
(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. LOCAL 18 किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)
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FIRST PUBLISHED : October 9, 2023, 19:04 IST