मो.महमूद आलम/नालंदा. अगर मन में दृढ़ संकल्प और कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो हर मुश्किल आसान हो जाता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया नालंदा के एक किसान पुत्र ने. रहुई प्रखंड के अंबा गांव निवासी गजेंद्र प्रसाद ने 15 हज़ार रुपया से लीज की ज़मीन पर मुर्गी फार्म खोला. जिसकी शुरुआत 600 पीस चूजों से किया. आज 10 लाख़ रुपया सालाना कमा रहे हैं. इसके साथ ही घर व बच्चों को भी बेहतर शिक्षा देकर अधिकारी बना दिया है.
दरअसल, गजेंद्र प्रसाद (48) किसान पिता मथुरा प्रसाद के पुत्र हैं. पहले मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद कपड़े की सिलाई का काम करते थे. लेकिन उससे आय का स्त्रोत बहुत कम था. इससे परिवार का जीविकोपर्जन सही से नहीं हो पाता था और बहुत मुश्किल से बच्चों की पढ़ाई करा पाते थे. इसके बाद उन्होंने पॉल्ट्री फॉर्म खोलने का निर्णय लिया.
दोस्त से ली जानकारी, घर वालों से लिया रुपया
गजेंद्र ने बताया कि अपने एक दोस्त से पॉल्ट्री फार्म के बारे में बारीकी से जानकारी जुटाई. उसके बाद घर वालों के सहयोग से 15 हज़ार रुपया में एक कट्ठा ज़मीन पर इसका व्यवसाय 1999 में शुरू किया. पहली बार 10 हज़ार मुनाफा हुआ. जिसके बाद वे लगातार इस व्यवसाय को करते हुए आज 5 पोल्ट्री फार्म का संचालन कर रहे हैं. जो अलग अलग जगहों पर 08 कट्ठा में फ़ैला हुआ है. इसके साथ ही वे मुर्गी का दाना एवं चूज़ा भी तैयार करते हैं. इससे सालाना 10 लाख रुपया कमाते हैं.
इस व्यवसाय से इन्होंने अपने एक पुत्र को पढ़ाकर नेवी में अफ़सर बनाया और दूसरा सिविल सर्विसेज की तैयारी करता है. इसके साथ ही इस व्यवसाय से उनके जानने वाले दर्जनों लोग प्रेरित होकर अपने गांव जावर में पॉल्ट्री फार्म का व्यवसाय कर रहे हैं. साथ ही मुनाफा भी कमा रहे हैं. पॉल्ट्री फार्म के व्यवसाय में कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. बशर्ते की मेहनत के साथ समय का ख्याल रखना होगा.
5 लोगों को दिया रोजगार, कायम की मिसाल
आज उनके फार्म में 8.5 हज़ार मुर्गी तैयार करने की कैपेसिटी है. इसके जरिए वह 5 लोगों को रोज़गार भी दे रहे हैं. यह मुर्गी 20 दिन में एक से डेढ़ किलो तैयार हो जाता है. जिसे यहां के हॉलसेल या खुदरा व्यापारी उचित मूल्यों पर ख़रीद कर ले जाते हैं. आज गजेंद्र प्रसाद दीपनगर में इसी व्यवसाय से मकान बनाकर गांव से शहर में आकर बसे हुए हैं. जबकि पिता जी आज भी गांव में खेती गृहस्थी करते हैं.
यहां से सूबे के आस पड़ोस ज़िलों में मुर्गी या उसका चूज़ा व्यावसायिक दृष्टिकोण से खरीदने पहुंचते हैं. अभी भी उनके फार्म में 1200 के क़रीब मुर्गियां है जो कुछ दिनों में तैयार हो जाएगी. हालांकि बाज़ार में इस बार चूजों की कीमत में उछाल को देखते हुए नुकसान से बचने के लिए कम चूज़ा तैयार किया है. उनके इस मेहनत और जज्बे को गांव के लोग मिसाल के तौर पर अपने बच्चों को बताते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 06, 2023, 06:12 IST