दर्जनों बच्चों के भविष्य पर लटकी तलवार, एक भी उच्च श्रेणी का शिक्षक नहीं

अर्पित बड़कुल/दमोह: प्रदेश में बैठी शिवराज सरकार भले ही सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा देने के लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत में शासन की पोल खुल ही जाती है. कुछ ऐसी ही तस्वीरे मध्यप्रदेश के दमोह के तेंदूखेड़ा विकासखंड के महंगवा खुर्द स्कूल की है. यहां शासन ने बिलिंग और शिक्षकों की सुविधाएं मुहैया कराए बिना ही हायर सेकंडरी स्कूल में उन्नयन कर दिया. जिसके चलते ग्रामीण इलाकों के 150 बच्चों को गांव के ही स्कूल में दाखिला लेना पड़ा.

आश्चर्य की बात यह है कि केवल एक प्राइमरी शिक्षक और एक अतिथि शिक्षक के भरोसे पूरा स्कूल संचालित है. दो शिक्षक कक्षा एक से लेकर कक्षा 9वीं तक के बच्चों को पढ़ाते हैं. यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को दाखिला लिए हुए महीनों बीत गए और 12 सितंबर से बच्चों की त्रैमासिक परीक्षाएं चल रही है. कक्षा 6- 8वीं में 94 और कक्षा 9वीं में 50 बच्चे है.

जिम्मेदारों पर उठे सवाल
स्कूल में अध्यनरत बच्चों ने बताया कि 12 सितंबर से त्रैमासिक परीक्षा चल रही है. स्कूल को लगे तो महीना बीत गए लेकिन हमें उच्च शिक्षा आज तक नहीं मिली. ये बच्चें माध्यमिक शिक्षक ही पढ़ रहे हैं. ऐसे में सवाल उन जिम्मेदार नेताओं और अफसरों पर उठते है, जो शिक्षा के नाम पर लाखों रुपए का बंदरबाट करते हैं. लेकिन जिनके नाम पर यह लाखों रुपये का बंदरबांट होता है, उन्हें ही शिक्षा मुहैया नहीं करा पाते. ऐसे में कैसे सीएम के भांजे भांजियों का उज्वल भविष्य बनेगा.

रवि शंकर परस्ते ने बताया कि बच्चों को शिक्षा देने का प्रयास तो किया जा रहा है. लेकिन, बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है. इस स्कूल में स्टाफ और परमानेंट शिक्षक की कमी है. शासन ने इस स्कूल को हायर सेकेंडरी तो कर दिया है लेकिन माध्यमिक शिक्षक ही हायर सेकेंडरी के बच्चों को पढ़ रहे हैं. इससे उनकी भविष्य पर भी तलवार लटक रही है. हमे नहीं लगता कि हम इन बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा दे पा रहे हैं. वही इस पूरे मामले को लेकर संकुल प्राचार्य रघुराज ठाकुर ने बताया कि उनके द्वारा भी कई बार जिले में बैठे शिक्षा विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर इसकी सूचना दे दी गई है. सूचना देने भी जिम्मेदारों को बच्चों के भविष्य की बिलकुल भी परवाह नहीं है.

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