टीचर को सलाम. रिटायरमेंट के बाद भी गरीब बच्चों पढ़ाते हैं फ्री

कुंदन कुमार/गया. कहा जाता है टीचर कभी रिटायर नहीं होते है, इसलिए रिटायरमेंट के बाद भी गया के एक शिक्षक स्कूल के 25 से अधिक बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं. यह कहानी है गया जिले के बांकेबाजार के रहने वाले महेश्वर प्रसाद सिंह की. महेश्वर प्रसाद जनवरी 2021 में जगन्नाथ उच्च विद्यालय बांकेबाजार से प्रधानाध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. लेकिन बच्चों के बीच रहने के आदी व पढ़ने-पढ़ाने के शौकीन वह खुद को शिक्षा से दूर नहीं कर पाए. उनके कदम ठंड हो या बरसात, रोजाना स्कूल की तरफ बच्चों को पढ़ाने के लिए बढ़ जाते हैं.

महेश्वर प्रसाद सिंह 1987 से शिक्षा से जुड़े हुए है. 34 साल की नौकरी के दौरान उन्होंने बिहार झारखंड के कई स्कूल में अपनी सेवा दी है. लेकिन 2021 में रिटायर होने के बाद गरीब बच्चो में शिक्षा का अलख जगाने के लिए उन्होने बांकेबाजार मे एक स्कूल खोला. इनके स्कूल मे 100 से अधिक छात्र है जिसमे लगभग 25 ऐसे छात्र है जिन्हे यह मुफ्त में शिक्षा दे रहें हैं. स्कूल से इन्हें ज्यादा आमदनी नहीं होती और पेंशन के पैसे से इनका घर परिवार का भरण पोषण हो रहा है. स्कूल से थोड़ा बहुत जो भी पैसा आता है उसे अन्य शिक्षक और स्कूल के मेंटनेंस पर खर्च किया जाता है.

25 से अधिक बच्चों को पढ़ा रहे मुफ्त 

महेश्वर प्रसाद का मानना है कि क्षेत्र के गरीब बच्चे जो पैसे के अभाव में नहीं पढ़ पाते वैसे बच्चों के लिए यह स्कूल खोला है. गरीबी में इन्होंने भी अपनी पढ़ाई पूरी की थी. इस दर्द को समझते हुए गरीब बच्चों के लिए स्कूल शुरु किया. जहां 25 से अधिक बच्चे मुफ्त पढ़ाई कर रहें हैं. इनके स्कूल में अन्य स्कूल की तुलना मे बहुत ही कम फीस है. इसके पिछे महेश्वर प्रसाद का तर्क है कि रिटायरमेंट के बाद इनका इंगेजमेंट भी हो जाएगा और बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाएंगे.

कैसा था महेश्वर प्रसाद जी का सफर
महेश्वर प्रसाद ने 1978 में मैट्रिक की परीक्षा पास की उसके बाद 1978-80 तक शेरघाटी में प्राथमिक शिक्षक महाविद्यालय से प्राप्त की. 1981 में ट्रेनिंग की परीक्षा हुई और 1987 में गया के मोहनपुर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय बांदेगडा में पोस्टिंग हो गई. इसी दौरान विद्यालय सेवा बोर्ड से हाई स्कूल मे विभिन्न पदो पर बहाली निकली जिसमें इनका चयन हो गया. झारखंड के साहेबगंज में पदस्थापित हुए. वहां छह वर्षो तक सेवा देने के बाद 2 साल औरंगाबाद के महाराजगंज में सेवा दी. फिर 1998 में इमामगंज प्रखंड के ज्ञान भारती उच्च विद्यालय मे पदस्थापित हुए और तकरीबन 18 साल यहां पर अपनी सेवा दी. इसी दौरान 2014 बिहार लोक सेवा आयोग में वैकेंसी आई और इनका चयन प्रधानाध्यापक के पद पर हो गया. ज्ञान भारती उच्च विद्यालय मे करीब 3 साल तक प्रधानाध्यापक के पद पर सेवा देने के बाद 2017 में इनकी पोस्टिंग बांकेबाजार जगन्नाथ हाई स्कूल में हो गया और लगभग 3 साल सेवा देने के बाद जनवरी 2021 मे सेवानिवृत हो गये.

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