निशा राठौड़/ उदयपुर. बीज से पौधा तैयार होते तो आप ने देखा होगा, लेकिन आज हम आपको एक खास तकनीक के बारे बताने जा रहे हैं,जिससे उदयपुर में किसानो के उत्तम किस्म के पौधे तैयार किए जा रहे हैं. खास बात यह है कि इसमें कीट लगने का खतरा बहुत ही कम है. दरअसल हम आपको टिशू तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं कि यह क्या है और किस तरह से आप इसके ज़रिये अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं. आपको बता दें कि इस तकनीक को अपनाकर आप फसल उत्पादन को बढ़ा सकते हैं और साथ ही अपने उत्पाद की गुणवत्ता में भी सुधार लाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
टिशू कल्चर तकनीक की प्रक्रिया
उदयपुर के शुभ लाभ एग्रो टेक्निक के डॉ. विनोद शर्मा ने बताया कि इस तकनीक में पौधे के ऊतकों (Tissue) का एक छोटा टुकड़ा उसके बढ़ते हुए ऊपरी हिस्से से लिया जाता है. इस टिशू के टुकड़े को एक जैली (Jelly) में रखा जाता है जिसमें पोषक तत्व और प्लांट हार्मोन होते हैं. आपको बता दें कि ये हार्मोन पौधे के ऊतकों में कोशिकाओं (Cells) को तेजी से विभाजित करते हैं और इनसे कई कोशिकाओं का निर्माण होता है. इन सभी कोशिकाओं को एक साथ एक ही जगह पर इकट्ठा किया जाता है जिसे कैलस (Callus) भी कहा जाता है. इनसे कई पौधो को एक साथ तैयार किया जा सकता है खास बात यह है इस तकनीक से पौधे की गुणवत्ता में कोई कमी नही होती है
टिशू कल्चर तकनीक से खेती के फ़ायदे
डॉ.विनोद शर्मा ने बताया की किसानों को इससे छोटे पौधे मिलते है जो किसी भी तरह के कीट और रोग से मुक्त होते हैं. पौधों में किसानों को एक के बाद एक, दो अंकुरण मिल सकते हैं और इससे खेती की लागत में भी कमी आती है. सभी पौधों में एक ही तरह का विकास होता है. इसका मतलब यह है कि सभी पौधे एक समान होते हैं और यही वजह है कि उत्पादन में भी अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिलती है. इतना ही नहीं, कम समय में फसल भी तैयार हो जाती है. साल भर छोटे विकसित पौधे उपलब्ध होने की वजह से रोपाई भी साल भर की जा सकती है. किसान कम समय में ही इस तकनीक से मिलने वाली नई किस्मों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 03, 2023, 13:48 IST