झींगा की खेती ने इस युवक को किया मालामाल, लागत से 6 गुना कमा चुके मुनाफा

जितेन्द्र कुमार झा/लखीसराय: बिहार के लखीसराय जिले में किसान परंपरागत के साथ-साथ आधुनिक विधि से सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इससे किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो रहा है. खास बात यह है कि किसान एक ही खेत में कई तरह की सब्जियों की खेती कर रहे हैं. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधर रही है. यह वैसे लोगों के लिए भी एक संदेश है जो खेती-किसानी को घाटे का सौदा समझते हैं.

यदि खेती में तकनीक का समावेशन कर अलग-अलग वैरायटी के फसल को उपजाया जाए तो कभी घाटा नहीं हो सकता है. आज हम लखीसराय जिला के एक ऐसे युवा किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो सब्जी की खेती कर हर माह 50 हजार से अधिक का मुनाफा कमा करे हैं. यह किसान जिला के खैरी गांव के रहने वाले भगवान दास हैं जो दो बीघा में झींगा की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं.

पारपंरिक फसलों से अधिक सब्जी की खेती में है मुनाफा

भगवान दास बताते हैं कि जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा. पारिवार का आर्थिक हालात सहीं नहीं था. शुरू से हीं खेती का शौक था. पारिवारिक हालात को सुधारने के लिए शौक को पेशा में बदल लिया. पारंपरिक खेती को छोड़कर अलग हटकर हटकर खेती करने की शुरूआत की. सब्जी की खेती कम समय में अधिक मुनाफा देने वाला होता है. इसलिए दो बीघा में झींगा लगाया. दो महीने में हीं झींगा के लत में फलन शुरू हो गया.

खेत से झींगा जब निकलना शुरू हुआ तो शुरूआत में अच्छी कीमत मिली. मंडी में व्यापारी 30 से 40 रूपए प्रति किलो खरीद ले रहे थे. जिससे लागत भी निकल आया और मुनाफा होना शुरू हो गया. अभी एक दिन के अंतराल में दो बीघा खेत से डेढ़ क्विंटल तक झींगा निकल रहा है.

सब्जी की खेती कर सालाना कमा रहे हैं 6 लाख से अधिक मुनाफा

भगवान दास ने बताया कि हरी सब्जी की खेती करने के बहुत सारे फायदे हैं. महज चार महीने की खेती में अच्छा खासा मुनाफा हुआ है. उन्होंने बताया कि शुरुआत में दो बीघा में झींगा की खेती करने पर 15 हजार लागत आया था. भगवान दास ने बताया कि झींगा का फलन इतना शानदार हुआ कि छह गुना मुनाफा मिल रहा है. उन्होंने बताया कि सालोभर सिफ सब्जी की खेती करते हैं.

झींगा की फसल समाप्त होने के बाद गाजर की खेती करेंगे. उन्होंने बताया कि ही माह सब्जी की खेती कर 50 हजार की कमाई हो जाती है. वहीं सालाना 6 लाख से अधिक की कमाई हो जाती है. भगवान दास युवा किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और युवाओं को कृषि के क्षेत्र से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं.

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