‘जो भी जरूरी होगा किया जाएगा’ : लश्कर से जुड़े आतंकी समूह की कश्मीरी पंडितों को धमकी के बाद केंद्र ने कहा

अरुणिमा

नई दिल्ली. लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) द्वारा कश्मीरी पंडितों पर हमले की धमकी देने के दो दिन बाद केंद्र ने घाटी में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की. बैठक में भाग लेने वाले एक शीर्ष पदाधिकारी ने सीएनएन-न्यूज18 को बताया कि पंडितों और गैर-स्थानीय लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के मामले पर चर्चा की गई. जम्मू और कश्मीर पुलिस, इंटेलिजेंस ब्यूरो और अर्धसैनिक अधिकारियों ने केंद्र को खतरे और उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी दी. कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में पूछे जाने पर एक अधिकारी ने कहा, ‘जो भी जरूरत होगी, किया जाएगा.’ उन्होंने यह तर्क देते हुए और विवरण देने से इनकार कर दिया कि यदि सुरक्षा व्यवस्था को सार्वजनिक किया जाता है, तो इसका मकसद नाकाम हो जाएगा.

कश्मीर घाटी में काम कर रहे कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग एक आतंकवादी संगठन द्वारा समुदाय के 56 कर्मचारियों की सूची जारी किये जाने के बाद से दहशत में हैं. आतंकवादियों द्वारा चुन-चुनकर लोगों की हत्या किये जाने के बाद से घाटी में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज (पीएमआरपी) के तहत काम कर रहे अनेक कश्मीरी पंडित जम्मू जा चुके हैं और 200 से अधिक दिन से स्थान परिवर्तन की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. वे यहां पुनर्वास आयुक्त कार्यालय के बाहर डेरा डाले हैं. दरअसल, लश्कर समर्थित समूह टीआरएफ के ‘द कश्मीर फाइट’ ब्लॉग में हाल ही में पीएमआरपी के तहत कार्यरत 56 कश्मीरी पंडित कर्मियों की एक सूची प्रकाशित की गई है और उन पर हमले की धमकी दी गई है.

विभिन्न कश्मीरी पंडित संगठनों ने शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के नाम लीक होने की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. पंडितों ने तर्क दिया है कि लीक हुई सूची में उनके नाम और पोस्टिंग की जगह होने के कारण उन्हें अतिरिक्त खतरा है. आतंकवादियों को लोगों के नाम लीक होने के मामले में जांच की मांग करते हुए प्रदर्शन में शामिल कर्मचारी रंजन जुत्शी ने सोमवार को कहा कि यह दिखाता है कि आतंकवादियों के तंत्र की जड़ें बहुत गहराई तक हैं और उनके जमीन पर मौजूद समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके उन्हें नेस्तनाबूद किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘सरकार को पता लगाना चाहिए कि किसने आतंकवादियों को अहम जानकारी दी. पुलिस को इस तरह की चीजों को गंभीरता से लेना चाहिए और घाटी में अब भी काम कर रहे कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चत करनी चाहिए.’

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की अध्यक्षता में हुई बैठक में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के महानिदेशक (डीजी), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक (डीजी), इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) प्रमुख, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) प्रमुख, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी और मुख्य सचिव के अलावा वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. गृह मंत्रालय (एमएचए) के प्रवक्ता ने बैठक को घाटी में सुरक्षा स्थिति की नियमित समीक्षा बताया.

Tags: Jammu kashmir, Kashmir, Kashmiri Pandits, Lashkar-e-taiba

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