जेल में जज साहब ने दिया प्रवचन, कैदियों को सुनाई कृष्ण की लीला व गीता का ज्ञान

अनुज गौतम / सागर. अक्सर आपने जज को कोर्ट में केस की सुनवाई करते या फैसला सुनाते देखा सुना होगा लेकिन आज हम आपको एक ऐसे जज के बारे में बताने जा रहे हैं जो प्रवचन भी सुनाते हैं. वह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के मर्मज्ञ को समझाते हैं, वे भगवान श्री कृष्णा की लीलाओं पर बोलते हैं. गीता का सार बताते हैं. भगवान शिव के शिवत्व का भान कराते हैं. आदिशक्ति दुर्गा पर भी व्याख्यान देते हैं. हनुमान भक्ति की महिमा को गाते हैं.

सागर जिले में पदस्थ जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरुण कुमार सिंह पर ओरछा 20 राम राजा सरकार और हनुमान जी महाराज की बड़ी कृपा है. उन्हीं की कृपा से वह लोगों को सनातन संस्कृति के माध्यम से अच्छे कार्य करने, बुरे कार्यों को छोड़ने, हरि का नाम भजने, भगवान की सेवा में लगाने का काम करने में जुटे हुए हैं.

जन्माष्टमी पर जेल में कैदियों को दिए प्रवचन
कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सागर केंद्रीय जेल में सैकड़ो कैदियों के लिए गीता के कर्म योग विषय पर गीता का व्याख्यान और उसके सार को तर्कों तथ्यों के आधार पर समझाया. केंद्रीय जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे के द्वारा कैदियों की मनोस्थिति को सुधारने के लिए कैदियों के मन में घूमर रहे प्रश्नों को शांत करने के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरुण कुमार सिंह से व्याख्यान देने बुलाया गया था. करीब साढ़े तीन घंटे तक उन्होंने गीता जी के अध्यायों के प्रमुख अंशो को दोहा चौपाई उदाहरण लोक कथाओं और कहानियां के माध्यम से संदेश दिया.

इस दौरान जेल प्रांगण के एक बरामदे में सामने मंच सजाया गया था जिस पर कथा वाचक की तरह स्टेज लगा हुआ था एक तरफ संगीत वाले बैठे थे. तो दूसरी तरफ पुरोहित बैठे हुए थे बीच में सफेद कुर्ता पहने, माथे पर टीका, गले में गमछा डाले न्यायाधीश अरुण सिंह अपनी हारमोनियम के साथ व्यास गद्दी पर बैठे थे। जहां से उन्होंने संगीत में गीता पर व्याख्यान दिया.

पाप कौन कराता है और कैसे होता है?
उन्होंने बताया कि दुर्योधन से लोग पूछ रहे थे कि धर्म को जानते हुए भी वह द्रौपतदी का चीर हरण, पांडवों के साथ हिस्सा छीनना और अन्य तरह से लोगों को परेशान कर क्यों पाप कर रहा है? तो उसने कहा कि उसके अंदर बैठे देवता पाप करवा रहे हैं. उन्होंने आगे बताया कि जब हम लोग गांव में जाते हैं तो देखते हैं की कोई व्यक्ति अपने जीवन में 5 मिनट के लिए कोई गलत काम करता है या होश खो देता है तो उसे 10 साल  की सजा हो जाती है. लेकिन जो जीवन भर गलत करता रहता है, परमात्मा की अदालत में उसकी कितनी सजा होती होगी. उन्होंने गीता जी के अध्याय 3 के अनुसार बताया कि हमारी कामनाएं-वासनाएं और इच्छाएं पाप कराती हैं.

मोह के बारे में उन्होंने विस्तृत वर्णन में बतलाया कि जब कमल की फूलों से रस पीने के लिए भंवरा उसे कली के अंदर जाता है. वह इतना मदमस्त हो जाता है कि सूरज ढलने के बाद जब कलियां बंद हो जाती हैं, तब भंवरा यह सोचता है कि सुबह सूरज निकलने पर कलियां खिलेंगे तो वह बाहर निकल जाएगा. तब तक और भोग कर लेगा. लेकिन सुबह एक हाथी तालाब में आता है नहाते समय अटखेलियां करता है और उसे फूल को तोड़कर खा जाता है.

भंवरा नष्ट हो जाता है. इसी प्रकार संसार के बहुसंख्यक जीवों की यही स्थिति है. कमल के पराग रस यानी की हम अपनी विषय में इतने भूल रहते हैं कि हाथी रूपी काल कभी भी आ सकता हैं. जो किसी क्षण नष्ट कर देगा.

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