जी20 ने कहा कि विकासशील देशों को अपनी राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए 2030 से पहले की अवधि में 5.9 हजार अरब अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी, जिसका लक्ष्य ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे, अधिमानतः 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रखना है।
जी20 देशों ने शनिवार को कहा कि वे राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप कोयले से बनने वाली बिजली को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के प्रयासों में तेजी लाएंगे, लेकिन उन्होंने तेल और गैस सहित सभी प्रदूषण फैलाने वाले जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से बंद करने की प्रतिबद्धता नहीं जताई।
दुनिया के 85 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का योगदान देने वाले और 80 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार जी20 ने कहा कि यह 2030 तक वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के प्रयासों को आगे बढ़ाएगा और प्रोत्साहित करेगा तथा अनुपयोगी जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को खत्म करने तथा तर्कसंगत बनाने के लिए 2009 में पिट्सबर्ग में किए गए अपने वादे को कायम रखेगा।
शुक्रवार को प्रकाशित पहली ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ की एक प्रमुख तकनीकी रिपोर्ट के अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाना और निर्बाध जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लिए ऊर्जा संक्रमण के अपरिहार्य तत्व हैं।
यहां जी20 शिखर सम्मेलन में जारी नेताओं की घोषणा में, समूह ने जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट (एआर 6) के निष्कर्षों का उल्लेख किया कि पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्यों को पूरा करने के लिए वैश्विक हरित गैस उत्सर्जन को 2020 से 2025 के बीच अपने उच्चतम बिंदु, या “चरम” तक पहुंचना चाहिए।
उन्होंने हालांकि कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि प्रत्येक देश को इस समय सीमा के भीतर अपने उत्सर्जन शिखर पर पहुंचना होगा।
घोषणापत्र में कहा गया है, “चरमोत्कर्ष की समय-सीमा सतत विकास, गरीबी उन्मूलन की जरूरतों, समानता और विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप तय की जा सकती है।”
दुनिया की कुछ सबसे धनी अर्थव्यवस्थाओं के समूह ने ‘2030 तक ऊर्जा दक्षता सुधार की दर को दोगुना करने पर स्वैच्छिक कार्य योजना’ पर भी ध्यान दिया।
उन्होंने माना कि ‘ग्लोबल वार्मिंग’ को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए 2019 के स्तर के सापेक्ष 2030 तक वैश्विक हरित गैस उत्सर्जन में 43 प्रतिशत की तीव्र, गहरी और निरंतर कटौती की आवश्यकता है।
उन्होंने हालांकि “चिंता के साथ संज्ञान लिया” कि जलवायु परिवर्तन से निपटने और पेरिस समझौते में उल्लिखित तापमान उद्देश्यों को प्राप्त करने की वैश्विक महत्वाकांक्षा अपर्याप्त है।
जी20 ने कहा कि विकासशील देशों को अपनी राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए 2030 से पहले की अवधि में 5.9 हजार अरब अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी, जिसका लक्ष्य ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे, अधिमानतः 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रखना है।
समूह ने कहा कि 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन हासिल करने के लिए, विकासशील देशों को 2030 तक स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए सालाना लगभग चार हजार अरब अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।
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