सच्चिदानंद/पटना. संतान की कुशलता और वंश वृद्धि की कामना के लिए महिलाएं निर्जला जितिया व्रत (जिउतिया व्रत ) करती हैं. इस वर्ष अश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि (शुक्रवार, 6 अक्टूबर) को जितिया का उपवास होगा. कुल 28 घंटों तक उपवास रहेगा. इस दिन अष्टमी तिथि अपराह्न काल, प्रदोष काल और चंद्रोदय व्यापिनी होने से यह ब्रह्मभाव हो गया है. आपको बता दें कि जितिया का व्रत एकमात्र ऐसा त्योहार है, जो महिलाएं अपने पुत्रों के लिए करती हैं. महिलाएं कुश से जीमूतवाहन की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करती हैं. साथ में माता लक्ष्मी व देवी दुर्गा की पूजा करने के बाद माताएं ब्राह्मणों से जीमूतवाहन की कथा सुनकर उनको दक्षिणा प्रदान करेंगी.
काशी के महावीर पंचांग के अनुसार, शुक्रवार को अष्टमी तिथि सुबह 9.25 बजे से शुरू होकर शनिवार 7 अक्टूबर की सुबह 10.21 बजे तक रहेगी. जबकि मिथिला विवि पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर की सुबह 9.35 बजे से शुरू होकर 7 की सुबह 10.32 बजे तक है. इसीलिए शनिवार 7 अक्टूबर को अष्टमी तिथि की समाप्ति के बाद व्रती महिलाएं पारण करेंगी. पटना के मशहूर आचार्य बजरंग महाराज ने बताया कि 6 अक्टूबर को शुक्रवार और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से इसकी महत्ता और बढ़ गई है. उन्होंने बताया कि पारण करने की शुभ घड़ी 7 अक्टूबर की सुबह 10.32 बजे के बाद है. जितिया के लिए सरगही या ओठगन 5 अक्टूबर को होगा. उसके बाद 28 घंटे तक उपवास होगा.
मुंह तक भी नहीं लगाना होता है पानी
बहरहाल, मगध क्षेत्र की बात करें तो यह बेहद कठिन त्यौहारों में से एक है. इस दिन सरगही करने के बाद महिलाएं 28 घंटे तक पानी को अपने मुंह से भी नहीं लगाती हैं. कुल्ला पर भी प्रतिबंध होता है. पारण करते समय महिलाएं मडुआ की रोटी, नोनी का साग, कांदा और झींगी की सब्जी समेत कई प्रकार का पकवान बनाती हैं. मगध की बात करें तो इस दिन बच्चों को काफी उत्सुकता होती है, क्योंकि इस दिन एक खास तरह की सब्जी खाने को मिलती है. इसको लेकर एक चर्चित कहावत भी है कि, ‘रोज मईया जितिया की तोड़ा भात खाऊं.’
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FIRST PUBLISHED : October 2, 2023, 12:51 IST