रायपुर. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के परिवार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. दरअसल फर्जी जाति प्रमाण पत्र पेश करने के मामले में जोगी परिवार की बहु ऋचा जोगी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है. जिसके बाद जोगी परिवार से जुड़ा जाति का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है.
मरवाही उपचुनाव में फर्जी जाति प्रमाण पत्र पेश करने के मामले में जोगी परिवार की बहु ऋचा जोगी के खिलाफ मुंगेली के सिटी कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गयी है. दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद मरवाही सीट में उपचुनाव से पहले उनकी जाति पर विवाद के बाद उन्हें चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया गया था. और इसकी शिकायत भी की गयी थी. जिसमें में बताया गया कि ऋचा रूपाली साधु (शादी से पहले का नाम) ने अवैध रूप से अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र बनवाकर उसका उपयोग कर रही है. ऋचा जोगी के खिलाफ हुई एफआईआर को लेकर जोगी कांग्रेस के कार्यकर्ता लगातार विरोध प्रदर्शन कर इसे राजनीतिक साजिश करार दे रहे हैं.
साल 2001 में अजीत जोगी प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने और उस दौरान बीजेपी के नेता संत कुमार नेताम ने 21 जनवरी 2001 को मुख्य चुनाव आयुक्त और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सामने जोगी के जाति प्रमाण पत्र के वैधता की शिकायत की थी. 16 अक्टूबर 2001 को आयोग ने अजीत जोगी के खिलाफ फैसला सुनाया और 420 का मुकदमा दर्ज करने करने की बात कही. आयोग के फैसले के खिलाफ जोगी ने 22 अक्टूबर 2001 को हाईकोर्ट में अपील की और फैसला उनके पक्ष में आया.
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कोर्ट ने कहा कि आयोग को जाति निर्धारण का अधिकार नहीं है. वहीं कोर्ट ने शिकायतकर्ता के खिलाफ जुर्माना भी लगाया. इसके बाद संत कुमार नेताम सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और यहां जुर्माने के फैसले को निरस्त किया गया. अजीत जोगी की जाति के मामले में हाईपावर कमेटी का गठन किया गया और कमेटी ने जाति प्रमाणपत्र को संदिग्ध मानते हुए इसे निरस्त करने योग्य माना. इसके बाद अजीत जोगी ने फिर हाईकोर्ट में अपील की और मरते दम तक अजीत जोगी के साथ ये विवाद जुड़ा रहा.
अजीत जोगी के बाद उनके बेटे अमित जोगी को भी जाति के जिन्न से जुझना पड़ा. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में अमित जोगी ने मरवाही विधानसभा में जीत हासिल की. इसके बाद वहां से बीजेपी प्रत्याशी समीरा पैकरा ने अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र और उनके जन्म स्थान को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की. समीरा पैकरा के हाईकोर्ट पहुंचने के बाद दोबारा हाईपावर कमेटी गठित हुई. कमेटी ने 27 जून 2017 को अजीत जोगी के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी करार दे दिया. साल 2020 में मरवाही उपचुनाव के दौरान निर्वाचन अधिकारी ने अमित जोगी का नामांकर ही निरस्त कर दिया. दलील दी गयी कि जब पिता की जाति को गैर आदिवासी माना गया है तब पुत्र अमित जोगी कैसे आदिवासी हो सकते हैं.
मरवाही उपचुनाव से पहले ऋचा जोगी के लिए मुंगेली के पेंड्री डी गांव से जाति प्रमाण पत्र जारी हुआ था और इस मामले की शिकायत आने पर राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने 23 जून 2021 को रिपोर्ट दाखिल की थी. इसी के आधार पर समिति ने मुंगेली के जिला प्रशासन को कार्रवाई के लिए निर्देशित भी किया था और अब इस मामले में ऋचा जोगी पर एफआईआर दर्ज की गयी है.
जोगी परिवार से जुड़े जाति विवाद को लेकर बीजेपी प्रवक्ता अनुराग अग्रवाल का कहना है कि जब अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने थे. तब बीजेपी लगातार उनकी जाति को लेकर आपत्ति करती रही. और तब कांग्रेस उनके साथ पूरी ताकत से खड़ी रही. लेकिन अब एफआईआर दर्ज की जा रही है.
इधर कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि प्रदेश में जोगी कांग्रेस का ऐसा अस्तित्व ही नहीं बचा है कि उनके खिलाफ कोई राजनीतिक साजिश की जाए. फर्जी जाति प्रमाण पत्र पेश करने पर ही ये कार्रवाई की जा रही है.
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Tags: Chhattisgarh news, Raipur news
FIRST PUBLISHED : November 19, 2022, 16:43 IST