‘जवान’ फिल्म की तर्ज पर बिहार में 07 दिनों में चालू होंगे 11 ट्रॉमा सेंटर, घटेगी हादसों में मृत्युदर

उधव कृष्ण/पटना. हाल में आई शाहरुख खान की फिल्म ‘जवान’ में सरकारी अस्पतालों की बदहाली को 5 घंटे में दूर होता दिखाया गया था. कुछ वैसा ही बिहार में भी देखने को मिलेगा. दरअसल, बिहार वासियों के लिए एक अच्छी खबर है. अब राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों (National Highway) के आसपास स्थित अस्पतालों में बहुत जल्द ट्रॉमा एवं इमरजेंसी सेवाएं बहाल कर दी जाएगी. वह भी महज 07 दिनों के अंदर. बता दें कि सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतों की संख्या को कम करने के लिए ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह कदम उठाया गया है.

दुर्गा पूजा से पहले ऑपरेशनल करने का है लक्ष्य

बता दें कि इन ट्रॉमा सेंटरों को खोलने के लिए रोडमैप तैयार कर लिया गया है. इस बाबत चिह्नित जिला व सदर अस्पतालों में दुर्गापूजा तक हाइली ट्रेंड एमबीबीएस डॉक्टर, स्किल्ड नर्स के साथ एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस व अन्य उपकरण उपलब्ध करा दिए जाएंगे.

बताते चलें कि खगड़िया जिले के महेशखूंट को छोड़ बाकी 10 ट्रॉमा सेंटरों को शॉर्ट नोटिस पर दुर्गापूजा तक चालू करवाने की बात निकल कर सामने आई है. राज्य के स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार सिंह ने जिन 11 जिलों के सिविल सर्जनों के साथ समीक्षा बैठक की, उन्हीं जिलों में ये ट्रॉमा सेंटर खोले जा रहे हैं.

सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौत बिहार में

आंकड़ों की माने तो सड़क दुर्घटना के बाद होने वाली मौतों में बिहार पूरे देश में पहले पायदान पर है. इसका प्रमुख कारण है कि गोल्डेन आवर यानी किसी दुर्घटना के बाद मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में देर हो जाना. वहीं, इसके अलावा नजदीक के अस्पताल में इमर्जेंसी सेवा नहीं मिलने के कारण भी देश में सबसे अधिक मौतें बिहार में हो रही है. इसे कम करने के लिए ही ट्रॉमा व इमर्जेंसी सेवा की व्यवस्था बनाई जा रही है.

राष्ट्रीय राजमार्गों पर अधिक संख्या में होनेवाली दुर्घटनाओं के स्पॉट को भी चिह्नित कर लिया गया है. इन्हीं स्पॉट के पास वाले अस्पतालों में ट्रामा सेंटर और इमरजेंसी सेवा शुरू करने को लेकर रोडमैप तैयार किया गया है. स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार सिंह ने बताया कि इन सभी 11 ट्रामा सेंटर में 07 दिनों के अंदर ऑक्सीजन, उपकरण, ब्लडबैंक, डॉक्टर, नर्स और कर्मचारियों की तैनाती के साथ उनके प्रशिक्षण का काम भी पूरा किया जाएगा.

सड़क पर लगाए जाएंगे साइन बोर्ड

ट्रॉमा सेंटर के संबध में जानकारी देने हेतु राष्ट्रीय राजमार्गोंपर साइनेज भी लगाया जाएगा. जिसमें अस्पताल का नाम, उसकी दूरी, नेशनल हेल्थ ऑथिरिटी का एंबुलेंस और राज्य सरकार की एडवांस एंबुलेंस की तैनाती और उसका नंबर दिया रहेगा. एंबुलेंस पर तैनात इमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन को भी घायलों की जान बचाने हेतु विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा. संजय कुमार सिंह की माने तो इसके पीछे सरकार की कोशिश है कि गोल्डेन आवर को कम कर ज्यादा से ज्यादा मरीजों की जान बचाई जा सके.

इन जिलों में होगी इमरजेंसी की व्यवस्था

जिन जिलों के अस्पतालों में इमरजेंसी व ट्रॉमा सेंटर शुरू किया जाना है, उसमें नवादा के रजौली, खगड़िया के महेशखूंट, कैमूर के मोहनिया, नालंदा के रहुई, पूर्वी चंपारण के चकिया, गोपालगंज के झझवा, मधुबनी के अररिया-संग्राम, गया के शेरघाटी, अररिया के नरपतगंज, वैशाली के गोरौल और बांका जिले का रजौन अस्पताल शामिल है.

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