जयराम रमेश बोले- उन तत्वों से लड़ें, जो गोडसे के विचारों-कार्यों का गुणगान करते हैं

Gandhi Jayanti Jairam Ramesh Communication: कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने आज सोमवार को गांधी जयंती के अवपर पर अपने विचारों को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उन सभी तत्वों से लड़ने की कसम खाते है, जो गोडसे के विचारों और कार्यों का गुणगान करते है। “इस गांधी जयंती पर, आइए हम देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से वाराणसी, अहमदाबाद और नई दिल्ली में उन सभी गांधी को मानने वाले संगठनों के साथ खड़े होंगे, जिन्होंने जीवन भर महात्मा गांधी की लड़ाई लड़कर अपनी एक अहम भूमिका निभाई।

एक्स पर पोस्ट के जरिए विचार साझा किए गए

जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने विचारों को पोस्ट किया और कहा कि महात्मा गांधी ने ऐसा माहौल बनाया जिसके कारण उनकी हत्या हुई। आइए हम उन तत्वों से लड़ने की प्रतिज्ञा करें जो गोडसे के विचारों और कार्यों का गुणगान करते हैं,” जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने आगे कहा कि “इस गांधी जयंती पर, आइए हम उन लोगों के संपूर्ण पाखंड को उजागर करें जो गांधीवादी प्रतीकों – उनके चश्मे, चरखा और छड़ी – को अपनाते हैं और उनकी विरासत को दुनिया के सामने पेश करते हैं, लेकिन उन सभी मूल्यों को कायम रखने में असमर्थ हैं, जिनकी उन्होंने वकालत की थी।

लोगों की भावनाओं को भड़काने के लिए नहीं किया धर्म का दुरुपयोग

इस गांधी जयंती के अवसर पर जयराम रमेश ने आगे कहा कि आइए हम सब याद करें कि महात्मा ने पूरी पारदर्शिता और खुलेपन का पालन किया। अपने विरोधियों के लिए उनमें किसी भी तरह की बदले की भावना नहीं थी। उन्होंने नफरत का त्याग करने पर ज्यादा जोर दिया और लोगों की भावनाओं को कभी भड़काने का काम नहीं किया और इसके लिए कभी भी धर्म का दुरुपयोग नहीं किया। बदले और दिखावे की भावना उनके लिए अलग थी। इस गांधी जयंती पर आइए हम सभी झूठ पर सत्य की जीत की दिशा में काम करने का संकल्प लें और यह सुनिश्चित करें कि करुणा की राजनीति नफरत, प्रतिशोध और पूर्वाग्रह की राजनीति पर हावी हो जाए।”

‘स्वराज’ और ‘अहिंसा’ में महात्मा गांधी का अटूट विश्वास

रमेश ने आगे कहा कि 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में जन्मे, महात्मा गांधी ने अहिंसक प्रतिरोध अपनाकर औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे रहें। जिनके कारण ही भारत को 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। उन्हें हम सब प्यार से बापू के नाम से बुलाते है। ‘स्वराज’ और ‘अहिंसा’ में महात्मा गांधी का अटूट विश्वास था, जिसने दुनिया भर में उन्हें प्रशंसा दिलाई। वहीं, विश्व स्तर पर ‘गांधी जयंती’ को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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