गुलशन कश्यप/जमुई: लोग कहा करते हैं कि पुराने जमाने में लोगों की उम्र लंबी होती थी और कम बीमार पड़ते थे. आज के दौर में लोग ज्यादा बीमार भी होते हैं और उनकी औसत उम्र भी काफी कम होती है. जमुई जिले के एक शख्स ने इस बात को इतना सीरियसली ले लिया कि उसने पुराने जमाने के लोगों की तरह हैं रहने का सोच लिया और एक ऐसे फसल की खेती शुरू कर दी, जो अब विलुप्त माना जाता है और सामान्यतः उसकी खेती देखने को नहीं मिलती है. जमुई जिला के रहने वाले इस शख्स ने मडुआ की खेती शुरू की है. हालांकि उसने अभी शुरुआत में 5 कट्ठा में ही इसकी फसल लगाई है. परंतु 40 दिनों में ही उसकी फसल खेतों में लहलहाने लगा है.
वजन कम करने के बाद आया यह आइडिया
जमुई के रहने वाले किसान नवल किशोर साव ने बताया कि पहले वजन करीब 85 किलो हुआ करता था और काफी परेशानियों से जूझ रहा था. फिर किसी ने सलाह दी और मडुआ के आटा से बनी रोटी खाना शुरू कर दिया. इसका काफी फायदा हुआ और वजन घटकर 53 किलो तक आ गया था. हालांकि इस दौरान डाइटिंग की तथा और भी चीजें की, लेकिन मडुआ का आटा खाने से काफी लाभ हुआ.
तब मडुआ खरीदकर लाता था, फिर यह आइडिया आया कि जब बाजार से मडुआ खरीदने में इतने पैसे खर्च करने पड़ते हैं तो क्यों ना इसकी खेती शुरू कर दी जाए. मडुआ की खेती का प्रयास किया तथा शुरुआत में हीं यह फसल लगाया है. यह फसल काफी अच्छी भी हुई है और इसका बाजार कीमत 180 रुपए प्रति किलो है, जो अच्छा खासा मुनाफा भी दे सकता है.
वैकल्पिक फसल के तौर पर कर सकते हैं मडुआ की खेती
किसान नवल किशोर साव ने बताया कि अभी बारिश नहीं होने के कारण कई जगहों पर सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हुई है तथा किसान धान की खेती नहीं कर पा रहे हैं. धान की खेती में सबसे बड़ी समस्या पानी की होती है और उसमें बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है. परंतु मडुआ की खेती के लिए ऐसा नहीं है. हालांकि इसकी खेती भी धान की तरीके से ही की जाती है.
पहले इसका बिचड़ा तैयार किया जाता है, फिर इसकी रोपनी की जाती है. लेकिन उसके बाद धान में जिस प्रकार लगातार पानी की आवश्यकता होती है, इसमें उतना अधिक पानी नहीं लगता है और इसकी फसल काफी कम समय में तैयार भी हो जाता है. किसान चाहे तो धान की वैकल्पिक फसल के तौर पर मडुआ की खेती कर सकते हैं.
.
Tags: Bihar News, Jamui news, Local18
FIRST PUBLISHED : September 07, 2023, 22:58 IST