तिलहन खेती का रकबा पहले के 190.38 लाख हेक्टेयर की तुलना में थोड़ा घटकर 188.58 लाख हेक्टेयर रहा। नकदी फसलों में, गन्ने की बुवाई का रकबा इस खरीफ सत्र में 25 अगस्त को थोड़ा बढ़कर 56.06 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह रकबा 55.59 लाख हेक्टेयर था। कपास और जूट का रकबा भी कम होकर क्रमशः 122.56 लाख हेक्टेयर और 6.56 लाख हेक्टेयर रहा। हालांकि, सभी खरीफ फसलों के दायरे में लाया गया कुल रकबा 25 अगस्त तक 1,053.59 लाख हेक्टेयर से अधिक था, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 1,049.96 लाख हेक्टेयर था।
आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में पिछड़ने के बावजूद चालू खरीफ सत्र में अब तक धान की फसल का रकबा 4.4 प्रतिशत बढ़कर 384.05 लाख हेक्टेयर हो गया है। कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी।
हालांकि, 25 अगस्त को दलहन का रकबा 8.30 प्रतिशत घटकर 117.44 लाख हेक्टेयर रहा, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह रकबा 128.07 लाख हेक्टेयर था।
तुअर (अरहर), उड़द और मूंग का रकबा भी कम रहा।
खरीफ (ग्रीष्म) मौसम की बुवाई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है, जबकि कटाई अक्टूबर में शुरू होती है।
धान मुख्य खरीफ फसल है क्योंकि कुल चावल उत्पादन का 80 प्रतिशत से अधिक इसी मौसम में उगाया जाता है।
कृषि आयुक्त पी के सिंह ने पीटीआई-को बताया, हम धान के खेती के रकबे को लेकर काफी सहज हैं। बुवाई अभी भी चल रही है और 15 सितंबर तक का समय बचा हुआ है।
चालू खरीफ सत्र में 25 अगस्त तक धान का रकबा बढ़कर 384.05 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो एक साल पहले की अवधि में 367.83 लाख हेक्टेयर था।
धान की बुवाई में अधिकतम वृद्धि बिहार में पहले के 29.8 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 34.88 लाख हेक्टेयर हो गयी है जबकि, इसके बाद छत्तीसगढ़ (33.22 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 37.47 लाख हेक्टेयर) और तेलंगाना (17.36 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 20 लाख हेक्टेयर) में दर्ज की गई।
आंध्र प्रदेश में 25 अगस्त तक धान का रकबा कम यानी 9.49 लाख हेक्टेयर था, जो एक साल पहले की अवधि के 10.69 लाख हेक्टेयर था।
इसी प्रकार, कर्नाटक में धान बुवाई पहले के 7.49 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस बार घटकर 5.77 लाख हेक्टेयर रह गया।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ सत्र में अब तक मोटे अनाज का बुवाई क्षेत्र थोड़ा बढ़कर 178.33 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो एक साल पहले की अवधि में 176.31 लाख हेक्टेयर था।
तिलहन खेती का रकबा पहले के 190.38 लाख हेक्टेयर की तुलना में थोड़ा घटकर 188.58 लाख हेक्टेयर रहा।
नकदी फसलों में, गन्ने की बुवाई का रकबा इस खरीफ सत्र में 25 अगस्त को थोड़ा बढ़कर 56.06 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह रकबा 55.59 लाख हेक्टेयर था।
कपास और जूट का रकबा भी कम होकर क्रमशः 122.56 लाख हेक्टेयर और 6.56 लाख हेक्टेयर रहा।
हालांकि, सभी खरीफ फसलों के दायरे में लाया गया कुल रकबा 25 अगस्त तक 1,053.59 लाख हेक्टेयर से अधिक था, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 1,049.96 लाख हेक्टेयर था।
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