मथुराएक घंटा पहले
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रेल लाइन में फंसे घोड़ी के पैर को निकालने में राहगीरों ने कड़ी मशक्क्त की
मथुरा में गुरुवार की देर शाम एक घोड़ी की जान उस समय अटक गई जब उसका पैर रेल लाइन में फंस गया। एक घंटे तक रेल लाइन में फंसे पैर को निकालने के लिए लोगों ने मशक्कत की तब जा कर सफलता हाथ लगी। इस घटना में बेजुबान का पैर बुरी तरह लहूलुहान हो गया।
मथुरा कासगंज रेल लाइन की घटना
गुरुवार की देर शाम मथुरा में स्टेट बैंक चौराहा से धौली प्याऊ की तरफ घोड़ी ले कर जा रहे व्यक्ति की आंखों में तब आंसू आ गए जब उसकी घोड़ी का पैर रेल लाइन में फंस गया। घोड़ी मालिक जैसे ही मथुरा कासगंज रेल लाइन के धौली प्याऊ रेल फाटक पर पहुंचा कि तभी उसकी घोड़ी का पैर अचानक रेल लाइन के बीच बने खाली स्थान में फंस गया।

घोड़ी ले कर जा रहे व्यक्ति की आंखों में तब आंसू आ गए जब उसकी घोड़ी का पैर रेल लाइन में फंस गया
बारात चढ़ाने जा रहा था घोड़ी मालिक
मथुरा के बिरला मंदिर इलाके के रहने वाले गुलशन विवाह शादी में बारात चढ़ाने के लिए घोड़ी ले कर जाते हैं। गुरुवार की देर शाम गुलशन शहर के सौंख अड्डा पर एक शादी में निकरौसी कर बारात चढ़ाने के लिए धौली प्याऊ जा रहे थे। गुलशन जैसे ही धौली प्याऊ रेलवे फाटक पर पहुंचे कि तभी उनकी घोड़ी का पैर रेल लाइन में फंस गया।

गुलशन
1 घंटे तक चला रेस्क्यू
रेल लाइन में फंसे घोड़ी के पैर को निकालने के लिए पहले तो गुलशन ने काफी प्रयास किए लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद वहां से गुजर रहे राहगीरों ने मदद की। इसी बीच सूचना पा कर रेलवे पुलिस और रेल कर्मी भी पहुंच गए। राहगीर और रेलवे कर्मियों ने करीब एक घंटे तक रेस्क्यू किया तब जा कर घोड़ी का पैर रेल लाइन से निकल सका। इस हादसे में घोड़ी का पैर लहूलुहान हो गया। हादसे के बाद घोड़ी पर खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। हालांकि उसकी जान जरूर बच गई।

एक घंटे तक रेस्क्यू किया तब जा कर घोड़ी का पैर रेल लाइन से निकल सका
गनीमत रही इस दौरान नहीं आई कोई ट्रेन
मथुरा में जिस रेल लाइन पर यह हादसा हुआ वह ट्रैक भरतपुर,आगरा फोर्ट से मथुरा होता हुआ कासगंज ,बरेली की तरफ जाता है। इस ट्रैक पर कई सवारी गाड़ी है तो मालगाड़ी भी निकलती रहती हैं। लेकिन जिस दौरान यह हादसा हुआ उस दौरान वहां से कोई ट्रेन नहीं गुजरी। जैसे ही घोड़ी का पैर निकला उसके 5 मिनट बाद ही फाटक बंद हो गया और 8 मिनट बाद मालगाड़ी निकली। इस नजारे को देख वहां मौजूद लोग कहने लगे जाको राखे साइयां मार सके न कोय।