गया. प्रतिभा किसी परिचय या परिस्थिति की मोहताज नहीं होती. कठिन से कठिन परिस्थितियों के बीच से भी वह उभर कर सामने आ ही जाती है. ऐसी ही प्रतिभा के धनी हैं गया जिले के बोधगया निवासी अजय कुमार. अजय चावल के दाने पर पेंटिंग बनाते हैं. चिमटा के सहारे चावल के दाने को पकड़ कर अपनी पेंटिंग तैयार करते हैं. अजय के हाथों की अंगुलियों में चित्रकारी का ऐसा जादू है कि चावल के एक दाने पर गायत्री मंत्र के अलावा उन्होंने 256 शब्द लिख डाले. बचपन से कुछ करने के जुनून की वजह से वे चित्रकारी के जादूगर बन गए हैं. जो भी इनकी प्रतिभा को देखता है, चकित रह जाता है.
बोधगया के मार्केट में इनकी पेंटिंग की खूब डिमांड है. देशी-विदेशी पर्यटक चावल के दाने पर अपना नाम लिखवाते हैं और उसे गले में लटकाते हैं. आज इनकी प्रतिभा किसी पहचान की मोहताज नहीं है. विदेशों से आए पर्यटक इनके स्टॉल पर आकर चावल के दाने पर अपना तथा परिवार का नाम लिखवाते हैं. बोधगया महाबोधि मंदिर के नजदीक अजय अपना स्टाल लगाते हैं. जहां पर्यटक चावल के दाने पर अपना नाम लिखवाते हैं. वैसे तो बोधगया में चावल पर नाम लिखने वाले दो-तीन लोग मिल जाएंगे, लेकिन अजय की खासियत ही कुछ और है. इनकी खासियत है कि यह एक चावल के दाने पर 256 शब्द और पूरा गायत्री मंत्र लिख देते हैं.
चावल के एक दाने पर नाम लिखने के लिए अजय ब्रश और चिमटे का इस्तेमाल करते हैं. चिमटा से चावल के दानों को पकड़कर ब्रश से उस पर नाम लिखते हैं. अजय की इस कलाकारी से लोग खूब प्रभावित होते हैं. अभी तक लाखों लोगों के नाम इन्होंने चावल के दाने पर लिखे होंगे. इस हुनर को अपना व्यवसाय बनाते हुए अजय आज रोजाना 600 से 800 रुपए कमाते हैं. प्रति चावल नाम लिखने के लिए 30 से 40 रुपए लेते हैं. जबकि गायत्री मंत्र या कोई श्लोक लिखवाने पर 50 से 60 रुपए लेते हैं.
अजय ने न्यूज 18 लोकल को बताया कि 9 साल पहले बनारस से एक गुरु जी आए थे, जो चावल पर नाम लिखते थे. उन्होंने ही मुझे इस कला को सिखाया. आठ वर्षों से इस कला पर काम कर रहा हूं. आज मेरे पास इतना एक्सपीरियंस है कि एक चावल के दाने पर गायत्री मंत्र का पूरा श्लोक तथा 256 शब्द लिख देता हूं. इस कला को बढ़ावा देने के लिए अजय की चाहत है कि बोधगया में लगने वाले बौद्ध महोत्सव में इसे प्रदर्शित किया जाए.
चावल के एक दाने पर 256 शब्द लिखना कोई आसान काम नहीं है. यह अजय की कलाकारी की खासियत है कि वे एक चावल पर अपनी कला प्रदर्शित कर देते हैं. जरूरी है कि सरकार इस कला को बढ़ावा दे, ताकि इस कला को रोजगार के रूप में देखा जा सके. बिहार के पर्यटन स्थलों पर इसकी खूब डिमांड है और देश विदेश से आए पर्यटक बड़े चाव से चावल पर अपना नाम लिखवा कर रिंग बनवाते हैं और इसको गले में टांगते है.
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FIRST PUBLISHED : December 05, 2022, 12:21 IST